बौद्ध धर्म | भारतीय इतिहास (Indian History)

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बौद्ध धर्म | भारतीय इतिहास (Indian History)

बौद्ध धर्म | भारतीय इतिहास (Indian History)

बौद्ध धर्म

  • छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में धार्मिक आंदोलन हुआ।
  • इसी समय बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ।
  • बौद्ध धर्म के तीन प्रमुख अंग माने जाते हैं।
  1. बुद्ध स्वयं
  2. धम्म (उपदेश व नियम)
  3. संघ (प्रचारक संस्था)

महात्मा बुद्ध

  • जन्म 1563 ई
  • जन्म स्थान लुंबिनी गांव, कपिलवस्तु के पास।
  • पिता शुद्धोधन, शाक्य कुल से संबंधित
  • माता महामाया।
  • विमाता प्रजापति गौतमी।
  • पत्नी यशोधरा
  • पुत्र राहुल
  • महात्मा बुद्ध ने सत्य की खोज हेतु 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर दिया था।
  • इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है।
  • गृह त्याग करते समय उनके साथ इनका घोड़ा कत्थक और सारथी चन्ना साथ था।
  • गृह त्याग कर यह गुरु अलार कलाम तथा रुद्रक के पास गए।
  • इनसे संतुष्ट नहीं हुए और स्वयं ही समाधि अवस्था में ज्ञान प्राप्ति का संकल्प लिया।
35 वर्ष की आयु में कठोर तपस्या के पश्चात इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई, इस घटना को संबोधि कहा जाता है।
इन्होंने ज्ञान प्राप्ति के पश्चात सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया।
इस घटना को महा धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है।
  • 40 वर्षों तक इन्होंने अपने धर्म का प्रचार किया।
  • परंतु बसंत माह में विचरण नहीं करते थे।
  • इन्होंने अपने उपदेश पाली भाषा में दिए।
  • इस प्रकार आमजन में धर्म का प्रचार हुआ।
  • महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में हुई।
  • बोधगया उर्वेल वन में स्थित है।
  • वर्तमान में यह स्थान बिहार राज्य में स्थित है।
  • इन्हें पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा को ज्ञान प्राप्तिहुई।

बुद्ध के धम्म

  • भगवान महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश को धम्म कहा।
  • इन्होंने उपदेशों में जीवन की राह बताई।
  • महात्मा बुद्ध ने चार आर्य सत्य दिए
  1. सर्वत्र दुखम
  • बुद्ध के अनुसार जीवन में दु:ख ही दु:ख है।
  • क्षणिक सुखों को सुख मानना अदूरदर्शिता है।
  1. दु:ख समुदाय
  • बुद्ध के अनुसार दु:ख का कारण तृष्णा अथवा इच्छा है।
  • इंद्रियों को जो वस्तुएं प्रिय लगती हैं उनको प्राप्त करने की इच्छा ही तृष्णा है और तृष्णा का कारण अज्ञान है
  1. दु:ख निवारण
  • बुद्ध के अनुसार दु:खों से मुक्त होने के लिए उसके कारण का निवारण आवश्यक है।
  • तृष्णा पर विजय प्राप्त करने से दुखों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
  1. दुख निवारण मार्ग
  • बुद्ध के अनुसार दु:खों से मुक्त होने अथवा निर्वाण प्राप्त करने के लिए जो मार्ग है उसे अष्टांगिक मार्ग कहते हैं।

अष्टांगिक मार्ग

  1. सम्यक दृष्टि
  • सत्य और असत्य को पहचानो।
  1. सम्यक संकल्प
  • इच्छा एवं हिंसा रहित संकल्प।
  1. सम्यक वाणी
  • सत्य एवं मृदु वाणी
  1. सम्यक कर्म
  • सत्कर्म दान अहिंसा दया सदाचार।
  1. सम्यक आजीव
  • जीवन यापन का सदाचार पूर्ण एवं उचित मार्ग।
  1. सम्यक व्यायाम
  • विवेकपूर्ण प्रयत्न
  1. सम्यक् स्मृति
  • अपने कर्मों के प्रति विवेकपूर्ण ढंग से सहज रहना।
  1. सम्यक समाधि
  • चित की एकाग्रता

संघ

  • बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों का संगठन।
  • संघ में दो प्रकार के लोग होते हैं।
  1. भिक्षु – सन्यास धारण करने के पश्चात।
  2. उपासक – गृहस्थ जीवन में रहकर अनुयाई बने रहते हैं।
  • संघ में प्रवेश हेतु न्यूनतम आयु 15 वर्ष रखी गई।
  • शुरुआत में स्त्रियों का प्रवेश वर्जित था, किंतु बाद में स्त्रियों को संघ में प्रवेश दिया गया।
  • संघ में प्रवेश करने वाली पहली स्त्री प्रजापति गौतमी थी।
संघ में रोगी, पागल, सूदखोर, कर्जदार तथा राजा के सैनिकों को प्रवेश नहीं था।

बौद्ध ग्रंथ

त्रिपिटक

  1. विनय पीटक (धम्म एवं संघ के नियम)
  2. सूत पिटक (एनसाइक्लोपीडिया का बुद्धिस्म के नाम से प्रसिद्ध।)
  3. अभिधम्म (प्रश्नोत्तर शैली में ज्ञान)
  • सुत पीटक में निम्न प्रकार से वर्गीकरण दिया गया है।
  1. खुदक
  • A. धम्म पद
  • B. धेरी गाथा
  1. अंगुतर
  2. संयुक्त
  3. दिर्ग
  4. मिज्जम

विनय पीटक

  • इस प्रथम बौद्ध संगीति में निर्मित किया गया।
  • बौद्ध भिक्षु भिक्षणियों से जुड़े नियमों को बताया गया।

सुत पीटक

  • बौद्ध धर्म का संपूर्ण ज्ञान समाहित।
  • इसे बुद्ध धर्म की एनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है।
  • इसमें पांच निकाय मौजूद है। जिनका वर्गीकरण ऊपर दिया गया था।
  • सबसे महत्वपूर्ण खुद्दक निकाय है।
  • इसमें 15 पदो का संकलन है।
  • महत्वपूर्ण ग्रंथों में धम्म पद व थेरीगाता है। इसमें जातक कथाएं (महात्मा बुद्ध के जन्म एवं जन्म के पूर्व की घटनाएं) भी सम्मिलित हैं।
  • धम्म का बौद्ध धर्म में वही स्थान है जो वैदिक धर्म में गीता का स्थान है।

अभिधम्म पिटक

  • सबसे नया अंतिम रूप से जोड़ा गया पिटक।
  • इसे तृतीय बौद्ध संगिती में जोड़ा गया।
  • इस पिटक में प्रश्नोत्तर शैली में धर्म को समझाया गया है।

अन्य ग्रंथ

  • अश्वघोष द्वारा बुद्ध चरित्र (जीवनी) लिखा गया।
  • इसे बौद्ध धर्म की रामायण कहा गया
एशिया का प्रकाश स्तंभ (द द लाइट ऑफ़ एशिया)
यहां ग्रंथ सर एड्रिन अश्नोल्ड द्वारा लिखा गया।

बौद्ध महा संगीतिया

प्रथम बौद्ध संगीति

  • समय 483 ईसा पूर्व
  • स्थान राजगृह बिहार
  • राजा अजात शत्रु (हर्यक वंश)
  • अध्यक्ष महा कश्यप
  • कार्य दो पिटकों का निर्माण।

दूसरी बौद्ध संगीति

  • समय 383 ईसा पूर्व
  • स्थान वैशाली
  • राजा कालाशोक (शिशुनाग वंश)
  • अध्यक्ष सबकमीर
  • कार्य बौद्ध धर्म को दो भागों में बांट दिया।
  1. स्थावीर
  2. महासंगिक

तीसरी बौद्ध संगीति

  • स्थान पाटलिपुत्र
  • राजा अशोक (मौर्य वंश)
  • अध्यक्ष मोगली पुत्र तीस्म
  • कार्य धम्म के नियम, कठोर अभिधम्म पिटक

चतुर्थ बौद्ध संगीति

  • समय 70 से 80 ई के मध्य।
  • स्थान कुंडलवन कश्मीर
  • राजा कनिष्क (कुषाण वंश)
  • अध्यक्ष वसुमित्र
  • उपाध्यक्ष अश्वघोष
  • कार्य बौद्ध धर्म दो संप्रदाय में बट गया।
  1. हिनयान (रूढ़िवादी परंपरावादी)
  2. महायान
महायान में महात्मा बुद्ध को भगवान मानकर पूजने लगे।

महात्मा बुद्ध की मृत्यु

  • 483 ईसा पूर्व कुशीनगर उत्तर प्रदेश में।

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बौद्ध धर्म क्या है स्पष्ट कीजिए?

  • बौद्ध धर्म को विभिन्न रूप से एक धर्म, एक दर्शन, या बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित विश्वासों और प्रथाओं के एक समूह के रूप में समझा जाता है, या “जागृत व्यक्ति” – यह उपाधि भारतीय आध्यात्मिक साधक सिद्धार्थ गौतम को 2,600 साल से अधिक पहले ज्ञान प्राप्त करने के बाद दी गई थी।


बौद्ध धर्म की स्थापना कब हुई और किसने की थी?

  • बौद्ध परंपरा के अनुसार, शाक्यमुनि (जिसका अर्थ है “शाक्य वंश के ऋषि”) बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं (उन्हें कभी-कभी “सिद्धार्थ गौतम” भी कहा जाता है)। शाक्यमुनि का जन्म लगभग 490 ईसा पूर्व एक शाही परिवार में हुआ था जो हिमालय की तलहटी में एक महल में रहता था।


बौद्ध धर्म के रचयिता कौन थे?

  • बौद्ध धर्म का इतिहास गौतम बुद्ध से आरंभ होता है। बुद्ध शुद्धोधन के पुत्र थे। उन्हीं की शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म की नींव पड़ी।

बौद्ध धर्म कितने प्रकार के होते हैं?

  • बौद्ध धर्म को सुरक्षित रूप से दो व्यापक शाखाओं में विभाजित किया जा सकता है: हीनयान और महायान। हीनयान प्राचीन भारत में मूल बौद्धों और उन शुरुआती परंपराओं के समकालीन अनुयायियों को संदर्भित करता है। महायान बाकी सब को संदर्भित करता है, और इसमें वज्रयान बौद्ध धर्म शामिल है जिसे उचित रूप से महायान का एक उपसमूह माना जाता है।

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