Indian Polity (भारतीय राजव्यवस्था): भारतीय राजव्यवस्था के संबंध में विभिन्न जानकारी अपडेट की जाती है। इसमें भारतीय राजव्यवस्था से संबंधित नोट्स, शॉर्ट नोट्स और मैपिंग के द्वारा विस्तृत अध्ययन करवाया जाता है। क्वीज टेस्ट के माध्यम से अपनी तैयारी पर रखने का बेहतरीन अवसर। आज ही अपनी तैयारी को दमदार बनाने के लिए पढ़िए भारतीय राजव्यवस्था।
Indian Polity (भारतीय राजव्यवस्था)
संविधान के अनुसूची, स्रोत एवं भाग
भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत
- ब्रिटेन
- संसदीय शासन प्रणाली
- विधि का शासन
- विधायी प्रक्रिया
- एकल नागरिकता
- मंत्रिमंडल प्रणाली
- परमाधिकार लेख
- संसदीय विशेषाधिकार
- द्विसदनीय व्यवस्था
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- मूल अधिकार
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- न्यायिक पुनरावलोकन का सिद्धांत
- उपराष्ट्रपति का पद
- उच्चतम न्यायालय
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाना
- राष्ट्रपति पर महाभियोग
- आयरलैंड
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व
- राष्ट्रपति निर्वाचन की प्रणाली
- राज्यसभा के सदस्यों का मनोनयन
- जर्मनी
- आपातकाल के समय मूल अधिकारों का स्थगन
- फ्रांस
- गणतंत्रात्मक और प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता व बंधुता
- कनाडा
- सशक्त केंद्र
- अर्ध संघात्मक सरकार
- अवशिष्ट शक्तियां
- राज्यपालों की नियुक्ति
- ऑस्ट्रेलिया
- प्रस्तावना
- समवर्ती सूची का प्रावधान
- केंद्र व राज्य के बीच शक्तियों का विभाजन
- सोवियत संघ
- मूल कर्तव्य
- प्रस्तावना में न्याय का आदर्श
- जापान
- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
- दक्षिण अफ्रीका
- संविधान में संशोधन की प्रक्रिया
- राज्यसभा में सदस्यों का निर्वाचन
संवैधानिक विशेषताएं
- भारतीय संविधान विश्व का अनूठा संविधान है
- संविधान के कई विशेषताएं, जो विश्व के अन्य संविधानों से इसे अलग करती है
- विश्व का सबसे बड़ा संविधान
- संघात्मक व्यवस्था
- एकल नागरिकता
- संसदात्मक व्यवस्था
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- वयस्क मताधिकार
- मौलिक अधिकार
- नीति निर्देशक तत्व
- पंथनिरपेक्ष राज्य
- एकात्मक व संघात्मक तत्वों का अद्भुत सहयोग
- कठोरता व लचीलेपन का मिश्रण
- आपातकालीन उपबंध
- लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श
- अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था
- विश्व शांति समर्थक
भारतीय संविधान की अनुसूचियां
- भारतीय संविधान के मूल भाग में 8 अनुसूचियां थी
- वर्तमान में 12 अनुसूचियां हैं
- प्रथम अनुसूची
- इसके अंतर्गत भारत के राज्य क्षेत्र को परिभाषित किया गया है
- 28 राज्यों और आठ संघ शासित प्रदेशों के नाम का उल्लेख है
- द्वितीय अनुसूची
- इसके अंतर्गत संवैधानिक पदाधिकारी को दिए जाने वाले वेतन का उल्लेख है
- इस अनुसूची में उपराष्ट्रपति के वेतन का उल्लेख नहीं है क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होने के कारण उन्हें सभापति के रूप में ही वेतन मिलता है
- तृतीय अनुसूची
- इसके अंतर्गत विभिन्न संवैधानिक पदाधिकारी द्वारा ली जाने वाली शपथ के प्रारूप का उल्लेख है
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल की शपथ का उल्लेख इस अनुसूची में नहीं होकर उससे संबंधित अनुच्छेद में है
- राज्यपाल व राष्ट्रपति- संविधान के रक्षा की शपथ लेते हैं
- मंत्री- पद व गोपनीयता की शपथ लेते हैं
- शेष सभी- संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं
- चौथी अनुसूची
- राज्यसभा के निर्वाचित होने वाले स्थान का आवंटन विभिन्न राज्यों में किया जाता है
- पांचवी अनुसूची
- अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन और नियंत्रण का उल्लेख
- छठी अनुसूची
- असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा के अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन का उल्लेख
- सातवीं अनुसूची
- केंद्र व राज्यों के बीच विषयों का बंटवारा किया गया, इस अनुसूची में तीन सूचीया है
A. संघ सूची
- इसमें दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को है
- मूल रूप से 97 विषय, वर्तमान में 100 विषय
- देश की प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, युद्ध और शांति, रेल, डाक, तार व मुद्रा, परमाणु शक्ति बैंकिंग इत्यादि शामिल
B. राज्य सूची
- इसमें दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार को है
- मूल रूप से 66 विषय, वर्तमान में 61 विषय
- पुलिस, जेल, स्थानीय शासन, कृषि, जन स्वास्थ्य, न्याय विभाग इत्यादि
C. समवर्ती सूची
- इसमें दिए गए विषय पर केंद्र व राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, परंतु केंद्र का कानून ही मान्य होगा
- मूल रूप से 47 विषय, वर्तमान में 52 विषय
- दिवानी व फौजदारी कानून, शिक्षा, विवाह तथा तलाक, आर्थिक नियोजन वन, श्रमिक संघ इत्यादि
- आठवीं अनुसूची
- विभिन्न भाषाओं को मान्यता दी गई
- मूल संविधान में 14 भाषाओं का उल्लेख था
- वर्तमान में 22 भाषाओं का उल्लेख है
महत्वपूर्ण
- I. संविधान संशोधन (1967) – सिंधी भाषा (15वीं) जोड़ी गई
- II. 71वा संविधान संशोधन (1992) – कोकणी, मणिपुरी, नेपाली (16,17,18)
- III. 92वा संविधान संशोधन (2003) – बोडो, डोंगरी, मैथिली, संथाली (19,20,21,22)
- नौवीं अनुसूची
- वे विशेष शामिल जिनको न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती
- प्रथम संविधान संशोधन के द्वारा 1951 में इस अनुसूची को जोड़ा गया
- भूमि सुधार कानून का उल्लेख
महत्वपूर्ण
केशवानंद बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि 24 अप्रैल 1973 के बाद कोई नया कानून इस सूची में शामिल किया गया और यदि वह संविधान की आधारभूत संरचना का उल्लंघन करता है तो उसे न्यायपालिका में चुनौती दी जा सकेगी
- 10वीं अनुसूची
- 52वें संविधान संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई
- दल बदल से संबंधित प्रावधान
- 91 संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2003 में दल बदल पर पूर्ण रूप से रोक लग गई
- 11वीं अनुसूची
- पंचायती राज संस्थाओं के 29 कार्यों का उल्लेख
- 73वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1993 में इस अनुसूची को जोड़ा गया
- 12वीं अनुसूची
- इसके अंतर्गत नगर पालिकाओं के 18 कार्यों का उल्लेख है
- 74वां संविधान संशोधन, 1993 जोड़ा गया
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