Indian Polity (भारतीय राजव्यवस्था): भारतीय राजव्यवस्था के संबंध में विभिन्न जानकारी अपडेट की जाती है। इसमें भारतीय राजव्यवस्था से संबंधित नोट्स, शॉर्ट नोट्स और मैपिंग के द्वारा विस्तृत अध्ययन करवाया जाता है। क्वीज टेस्ट के माध्यम से अपनी तैयारी पर रखने का बेहतरीन अवसर। आज ही अपनी तैयारी को दमदार बनाने के लिए पढ़िए भारतीय राजव्यवस्था।
प्रस्तावना एवं संविधान के भाग
प्रस्तावना
- प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक भाग है
- इसमें संविधान के मूल उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है
- संविधान के गौरवपूर्ण मूल्यों को संविधान की प्रस्तावना में रखा गया है
- जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (13 दिसंबर 1946) को ही प्रस्तावना का आधार बनाया
उद्देशिका
हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर के समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली बंधुता, बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष, शुक्ल सप्तमी संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म समर्पित करते हैं।
उद्देशिका के प्रमुख बिंदु
- प्रस्तावना में अब तक एक बार संशोधन हो चुका है
- 42 पर संविधान संशोधन द्वारा 1976 में तीन नए शब्द जोड़े गए थे
- समाजवाद
- पंथनिरपेक्षता
- अखंडता
- प्रस्तावना में दो बार भारत शब्द का प्रयोग किया गया
- ‘हम भारत के लोग’ जैसे शब्दों का उल्लेख प्रस्तावना में ही है। जिसका अर्थ है कि संविधान का मुख्य स्रोत भारत की जनता है तथा जनता ही सर्वोच्च है।
इससे शासन का स्वरूप स्पष्ट होता है
- समाजवाद
- पंथनिरपेक्षता
- गणतंत्र
- लोकतंत्र
- प्रस्तावना से संविधान के उद्देश्य स्पष्ट होते हैं
न्याय- सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय
स्वतंत्रता- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना
समानता- प्रतिष्ठा और अवसर की समता
- प्रस्तावना से संविधान के लागू होने के दिनांक में स्पष्ट होती है (26 नवंबर 1949)
- प्रस्तावना में ‘बंधुता’ शब्द का उल्लेख है
- प्रस्तावना में निम्नलिखित शब्दों का भी उल्लेख है-
अंगीकृत करना - संविधान को स्वीकार करना
अधिनियमित करना- संविधान को लागू करना
आत्म समर्पित करना- स्वयं को संविधान सौंपना
प्रस्तावना से संबंधित कथन
- ठाकुरदास भार्गव- प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा
- अर्नस्ट बार्कर- प्रस्तावना को संविधान का मुख्य बिंदु कहा
- के एम मुंशी- प्रस्तावना को ‘राजनीतिक जन्म कुंडली’ कहां
- नानी पालखीवाला- प्रस्तावना को ‘भारतीय संविधान का परिचय पत्र’ कहा
संविधान के भाग
भाग- I संघ और उनके राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 1 से 4)
भाग- II नागरिकता (अनुच्छेद 5 से 11)
भाग- III मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12 से 35)
भाग- IV राज्य की नीति के निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 36 से 51)
भाग- IVक मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51क)
भाग- V -
संघ सरकार (अनुच्छेद 52 से 151)
अध्याय-I - कार्यपालिका (अनुच्छेद 52 से 78)
अध्याय-II - संसद (अनुच्छेद 79 से 122)
अध्याय-III - राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां (अनुच्छेद 123)
अध्याय-IV - संघ की न्यायपालिका (अनुच्छेद 124 से 147)
अध्याय-V - भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148 से 151)
भाग- VI -
राज्य सरकारे (अनुच्छेद 152 से 237)
अध्याय-I - साधारण (अनुच्छेद 152)
अध्याय-II - कार्यपालिका(अनुच्छेद 153 से 167)
अध्याय-III - राज्य का विधानमंडल (अनुच्छेद 168 से 212)
अध्याय-IV - राज्यपाल की विधायी शक्तियां (अनुच्छेद 213)
अध्याय-V - राज्यों के उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 214 से 232)
अध्याय-VI - अधीनस्थ न्यायालय (अनुच्छेद 233 से 237)
भाग- VII - राज्यों से संबंधित पहली अनुसूची का खंड-ख (निरस्त) | (अनुच्छेद 238 निरस्त)
भाग- VIII - संघ राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 239 से 242)
भाग- IX - पंचायते (अनुच्छेद 243 से 243ण)
भाग- IXक - नगरपालिकाए (अनुच्छेद 243त से 243 य छ)
भाग- IXख - सहकारी समितियां (अनुच्छेद 243-ZH से 243-ZT)
भाग- X - अनुचित और जनजातीय क्षेत्र (244 से 244क-)
भाग- XI -
संघ और राज्यों के बीच संबंध (अनुच्छेद 245 से 263)
अध्याय-I - विधायी संबंध (अनुच्छेद 245 से 255)
अध्याय-II - प्रशासनिक संबंध (अनुच्छेद 256 से 263)
भाग- XII -
वित्त, संपत्ति, संविदा और वाद (अनुच्छेद 264 से 300-ए)
अध्याय-I - वित्त (अनुच्छेद 264 से 291)
अध्याय-II - ऋण लेना (अनुच्छेद 292 से 293)
अध्याय-III - संपत्ति, संविदा, अधिकार, बाध्यताएं और वाद (अनुच्छेद 294 से 300)
अध्याय-IV - संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 300क)
भाग- XIII - भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य एवं समागम (अनुच्छेद 301 से 307)
भाग- XIV -
संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं (अनुच्छेद 308 से 323)
अध्याय-I - सेवाएं (अनुच्छेद 308 से 314)
अध्याय-II - लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315 से 323)
भाग- XIVक - अधिकरण (अनुच्छेद 323क से 323ख)
भाग- XV - निर्वाचन (अनुच्छेद 324 से 329-क)
भाग- XVI -
राजभाषा (अनुच्छेद 343 से 351)
अध्याय-I - संघ की राजभाषा (अनुच्छेद 343 से 351)
अध्याय-II - प्रादेशिक भाषाएं (अनुच्छेद 345 से 347)
अध्याय-III - सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय इत्यादि की भाषा (अनुच्छेद 348 से 349)
अध्याय-IV - विशेष निर्देश (अनुच्छेद 350 से 351)
भाग- XVIII - आपात उपबंध (अनुच्छेद 352 से 360)
भाग- XIX - प्रकीर्ण (अनुच्छेद 361 से 367)
भाग- XX - संविधान का संशोधन (368)
भाग- XXI - अस्थायी, संक्रमणशील और विशेष उपबंध (अनुच्छेद 369 से 392)
भाग- XXI - संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन (अनुच्छेद 393 से 395)
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