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सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) | भारतीय इतिहास (Indian History)
इतिहास का परिचय
- इति का अर्थ होता है “बिल्कुल ऐसा”
- हास का अर्थ होता है “घटित हुआ था”
इतिहास का वर्गीकरण
- प्रागैतिहासिक काल
- आद्य प्रागैतिहासिक काल
- ऐतिहासिक काल
प्रागैतिहासिक काल
- पुरापाषाण काल
- मध्य पाषाण काल
- नवपाषाण काल
आद्य प्रागैतिहासिक काल
- इसका कोई वर्गीकरण नहीं है।
ऐतिहासिक काल
- प्राचीन भारत
- मध्यकाल
- आधुनिक काल
प्राचीन भारत
- सिंधु घाटी सभ्यता
- 2400 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व।
- वैदिक सभ्यता
- 1700 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व
- बौद्ध धर्म जैन धर्म
- मौर्य काल
- गुप्त काल
- भारत पर विदेशियों काआक्रमण
सिंधु घाटी सभ्यता
- इस सभ्यता के बारे में सर्वप्रथम चार्ल्स मैसन ने 1828 में बताया।
- सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाता है।
- हड़प्पा सभ्यता रावी नदी के तट पर स्थित है।
- हड़प्पा सभ्यता की खोज दयाराम साहनी ने की थी।
- हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में हुई।
मोहनजोदड़ो
- मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में हुई थी।
- मोहनजोदड़ो की खोज राखलदास बनर्जी ने की थी।
1861 में कनिंघम द्वारा इन सभ्यताओं की पुष्टि की गई।
- इस सभ्यता के अंतर्गत सर्वप्रथम 1921 में दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा शहर ढूंढा गया।
- हड़प्पा शहर वर्तमान में पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित है।
- अगले साल ही 1922 में राखल दास बनर्जी द्वारा मोहनजोदड़ो शहर की खोज की गई।
- विश्व पटेल के सामने इस सभ्यता को लाने का श्रेय जॉन मार्शल को जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम
- विद्वानों ने सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम अलग-अलग बताया है।
- वैज्ञानिक तकनीक कार्बन डेटिंग पद्धति के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम 2400 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व माना गया है।
सिंधु घाटी के समकालीन सभ्यताएं
- सुमेरियन सभ्यता यूरोप से संबंधित है।
- मेसोपोटामिया की सभ्यता इराक से संबंधित है।
- मिश्रा की सभ्यता नील नदी के तटपर स्थित है।
- चीन की सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं
- नगरीय सभ्यता।
- नगरी सभ्यता से संबंधित विभिन्न प्रमाण प्राप्त हुए।
- नगरीय व्यवस्था की सभ्यता के नाम से प्रसिद्ध।
विशेष साक्ष
- दुर्गा के साक्ष्य प्राप्त हुए।
- मकान का निश्चित अनुपात वाली पक्की और कच्ची ईटों से बना होना।
- सड़कों का ग्रिड प्रणाली में होना और एक दूसरे को समकोण पर काटना।
- शहरों में उचित जल निकासी होना, पक्की नालियों की व्यवस्था।
- इस प्रकार सिंधु घाटी सभ्यता को नगरीय सभ्यता बताया गया।
सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक जीवन
- सिंधु सभ्यता के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के थे।
- कुछ प्रमाण जो सेंधव लोगों को धर्मिक बताते हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक प्रमाण के उदाहरण
- भारी मात्रा में मात्र देवी की मूर्तियों का मिलना।
- इस प्रकार इन्हें मातृ सत्तात्मक बताया गया।
- सेंधव लोग प्रकृति पूजक थे।
- यह लोग वृक्ष पूजा धरती पूजा और योनि पूजा करते थे और इससे संबंधित साक्ष मिले।
- मोहनजोदड़ो से एक मुद्रा प्राप्त हुई जिस पर पशुपतिनाथ जी की आकृति अंकित है।
- पशुपतिनाथ के तीन सिंग है।
- पवित्र पशुओं में सबसे पवित्र श्रृंगी पशु को माना गया।
- दूसरा पवित्र पशु कूबड़ वाला बैल था।
- पवित्र पक्षी फाख्ता था।
- सेंधव लोग अंधविश्वासी भी थे।
- सेंधव लोगो से जादू टोने ताबीज गंडे के प्रमाण मिले हैं।
- अंतिम संस्कार में पूर्ण शवाधान, आंशिक शवाधान और दाह संस्कार के प्रमाण मिले।
- यज्ञ और हवन के लिए अग्नि वेदीया मिली।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन
- समाज वर्णों में विभक्त था।
- योद्धा, राजा और सैनिक सम्मिलित
- शिक्षक, पुरोहित ज्योतिष और वेद्य सम्मिलित।
- व्यापारी, लुहार सुनार मनके बनाने वाले सम्मिलित।
- मजदूर, कृषक और श्रमिक सम्मिलित।
- सेंधव लोग मनोरंजन प्रेमी थे।
- मनोरंजन के लिए बड़े-बड़े आयोजन होते, इन आयोजनों के लिए स्टेडियम के साक्ष मिले।
- लोग नृत्य प्रेमी थे, मोहनजोदड़ो से नर्तकी की कांसे की मूर्ति प्राप्त हुई।
- यह लोग सर्वाहारी थे।
- वस्त्रों का उपयोग करते थे।
- आभूषणों का, सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग किया जाताथा।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का आर्थिक जीवन
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कृषि करते थे।
- यह लोग गेहूं जो चावल इत्यादि फसल उगाते थे।
- जूते हुए खेत और वृहद अन्नागार इस और इशारा करते हैं।
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धातुओं से परिचित थे।
- ये लोग तांबा कांसा सोना चांदी आदि आभूषणों का व्यापार किया करते थे।
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पशुपालन करते थे।
- बैल हाथी कुत्ता बिल्ली खरगोश भैसा इत्यादि से परिचित थे।
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग घोड़े से परिचित थे।
सिंधु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था
इस सभ्यता में राजनीतिक व्यवस्था का अभाव था।
सता की बागडोर व्यापारियों के हाथ में थी।
सिंधु घाटी सभ्यता की लेखन शैली
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग लेखन शैली का उपयोग करते थे।
- विभिन्न प्रमाणों में 500 अक्षर प्राप्त हुए।
- यह भावाक्षर अक्षर या चित्र अक्षर शैली में लिखते थे।
- इस शैली में एक लाइन बाएं से दाएं तथा दूसरी लाइन दाएं से बाएं लिखी होती थी।
- इस लिपि को सर्पीलाकर लिपि से अथवा ब्रुस्टोफेदन लिपि के नाम से जाना गया।
सिंधु घाटी सभ्यता का अंत
इस सभ्यता के अंत के प्रमुख कारण निम्न है -
- राजनीतिक व्यवस्था का अभाव
- निरंतर प्राकृतिक आपदाओं का आना।
- भारत में वैदिक आर्यों का आगमन
- सुदृढ़ धार्मिक जीवन का अभाव।
- हजार साल तक यह सभ्यता चली इसके पश्चात इस सभ्यता का अंत हो गया। इस सभ्यता के बाद वैदिक संस्कृति अस्तित्व में आई।
सिंधु घाटी सभ्यता के पूरा स्थल
भारत के प्रमुख स्थल
- मांडा, जम्मू कश्मीर (चिनाब नदी के किनारे)
- रोपड़, पंजाब
- राखी घड़ी, हरियाणा
- कालीबंगा और पीलीबंगा, राजस्थान
- गुजरात
- A. धोलालाविरा
- B. लोथल
- C. सुत्काकोट
- D. रंगपुर
- E. सुरकोटड़ा
- दैमाबाद, महाराष्ट्र
- अलमगीरपुर, उत्तर प्रदेश
पाकिस्तान के प्रमुख स्थल
- हड़प्पा सभ्यता
- मोहनजोदड़ो
- अल्लादिनों
- कोटदी जी
- सुत्कागैनडोर
- चन्हूदडो
अफगानिस्तान के प्रमुख स्थल
- रहमान ढेरी
- कीले गुल मकई
- कीले गुढ़ई
- हड़प्पा पुरा स्थल
- हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी के द्वारा की गई।
- हड़प्पा सभ्यता नामक स्थल पाकिस्तान के मोंट गोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है।
- हड़प्पा नामक स्थल पर विशाल नगर मिले हैं।
- R37 सामूहिक कब्रिस्तान हड़प्पा स्थल पर ही मिला है।
- स्वास्तिक का निशान इसी हड़प्पा स्थल से मिला है।
- मोहनजोदड़ो पुरा स्थल
- खोज 1922 में राखल दास बनर्जी के द्वारा।
- वर्तमान में पाकिस्तान में सिंध प्रांत में लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
मोहनजोदड़ो के अन्य नाम
- मृतकों का टीला
- सिंधु वाला बाग
- नखलिस्थान
- इस स्थल पर विशाल स्नानागार मिले।
- मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी संरचना अन्नागार है।
अन्य साक्ष्य
- सेलखड़ी की दाढ़ी वाले युवक की मूर्ति प्राप्त हुई।
- कांसे की देवदासी की मूर्ति प्राप्त हुई।
- तांबे का रथ प्राप्त हुआ।
- महाविद्यालय भवन, पुरोहित आवास प्राप्त हुआ।
- कालीबंगा पुरा स्थल
- 1953 में अमलानंद घोष के द्वारा खोज की गई।
- वर्तमान में राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में, घग्गर नदी के किनारे स्थित।
- जुते हुए खेतों के शख्स मिले।
- भूकंप के साक्ष्य मिले।
- एक पल्ले वाला दरवाजा मिला।
- मिट्टी की काले रंग की चूड़ियां मिली।
- अग्निवेदिया मिली।
- 1 साल में दो फसल उगाने के साक्ष्य मिले।
- इतिहासकारों ने इसे तीसरी राजधानी कहा।
- युगल शवाधान के साक्ष्य मिले।
- लोथल पुरा स्थल
- 1955 में एस आर राव के द्वारा खोज।
- गुजरात में भोगवा नदी के किनारे स्थित।
- लघु मोहनजोदड़ो को लघु हड़प्पा भी कहा जाता है।
- प्रमुख साक्ष्य के रूप में बंदरगाह, शहर, गोड़ीवाड़े (जहाज रुकने व मरम्मत का स्थान) मिले।
- चित्रित मृदभांड मिले (एक लोमड़ी का चित्र जो पंचतंत्र की कहानी से संबंधित है।)
- अग्निवेदिया प्राप्त हुई।
- विदेशी मुहरे व मुद्रा प्राप्त हुई।
- चन्हुदडो पुरा स्थल
- 1931 में एम जी मजूमदार के द्वारा खोज।
- बलूचिस्तान पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट परस्थित।
- एकमात्र शहर जहां दुर्ग के साक्ष्य नहीं मिले।
- झुकर व झाकर संस्कृति।
- मनके बनाने का कारखाना।
- तांबे को गलाने की भट्टिया।
- बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे के निशान मिले।
- लिपस्टिक के साक्ष्य मिले।
प्रमुख साक्ष्य तथा उनके प्राप्ति स्थल
- सूती कपड़े के साक्ष्य, मोहनजोदड़ो से मिले।
- जहाज के निशान वाली मोहर, मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई।
- कांसे का पैमाना, मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ।
- वृषभ मुद्रा (कूबड़ वाला बैल), मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई।
- पाशुपति शिव प्रतिमा, मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई।
- R37 कब्रिस्तान, सामूहिक कब्र हड़प्पा से प्राप्त हुई।
- सर्वाधिक मातृ देवी की मूर्तियां, हड़प्पा से प्राप्त हुई।
- लकड़ी की नाली, कालीबंगा से प्राप्त हुई।
- घोड़े का कंकाल, सुरकोटडा से प्राप्त हुआ।
- मनके बनाने का कारखाना, चन्हूदड़ो से प्राप्त हुआ।
- चावल की खेती, लोथल से प्राप्त।
- गेहूं की खेती, रंगपुर (अहमदाबाद) से प्राप्त।
- जौ की खेती, बनावली अथवा बनवाली हरियाणा से प्राप्त।
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सिंधु घाटी सभ्यता क्या है?
- सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है और यह ग्रिड प्रणाली पर आधारित व्यवस्थित योजना के लिए प्रसिद्ध है। सिंधु घाटी सभ्यता एक कांस्य युगीन सभ्यता थी जो आज के उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान से पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैली हुई थी। यह सभ्यता सिंधु और घग्गर-हकरा नदी के घाटियों में फली-फूली।
सिंधु घाटी सभ्यता में कितने नगर थे?
- सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख स्थल हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नामक दो नगर थे, जिनमें से हड़प्पा उत्तर में और मोहनजोदड़ो दक्षिण में सिंधु नदी के तट पर बसे हुये थे। ये दोनों नगर सुंदर नगर नियोजन की कला के प्राचीनतम उदाहरण थे।
हड़प्पा की खोज कब और किसने की थी?
- हड़प्पा रावी नदी के तट पर स्थित है। अधिकांश हड़प्पा स्थल अर्ध-शुष्क भूमि में स्थित हैं, जहाँ संभवतया कृषि के लिए सिंचाई की आवश्यकता थी। हड़प्पा की खोज पुरातत्वविद् दयाराम साहनी ने की थी। उन्होंने 1921 और 1922 में हड़प्पा में सिंधु घाटी स्थल की खुदाई का पर्यवेक्षण किया।