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वैदिक संस्कृति और वैदिक सभ्यता
वैदिक संस्कृति और वैदिक सभ्यता
- सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के पश्चात भारत में एक नई संस्कृति वैदिक संस्कृति का प्रारंभ हुआ।
- वैदिक संस्कृति के लोगों को वैदिक आर्य कहा गया।
- वैदिक आर्य का शाब्दिक अर्थ होता है श्रेष्ठ अथवा कुलीन।
- वैदिक आर्यों के मूल स्थान को लेकर विद्वानो में प्रमुख मतभेद हैं।
- सभी विद्वान वैदिक आर्यों का मूल स्थान अलग-अलग मानते हैं।
- इस संदर्भ में मैक्समूलर का प्रचलित मत, जो यह कहता है कि वैदिक आर्यों का मूल स्थान मध्य एशिया है।
- भारतीय विद्वान बाल गंगाधर तिलक के अनुसार वैदिक आर्य उत्तरी ध्रुव से आए हैं।
- वैदिक आर्यों ने भारत में खैबर दर्रे से प्रवेश किया तथा सिंधु तथा उसकी सहायक नदियों के किनारे बस्तियां स्थापित की।
सप्त सैंधव प्रदेश
- सात नदियों के आसपास का क्षेत्र।
- सिंधु नदी (सिंधु)
- सरस्वती नदी (सरस्वती वर्तमान में घग्गर के नाम से जानी जाती है।)
- रावी नदी (पुरुषणी)
- चेनाब नदी (अश्किनी)
- झेलम नदी (विस्तता)
- सतलज नदी (शूतुद्री)
- व्यास नदी (विपाशा)
- वैदिक समाज पूर्ण रूप से वेदों पर आधारित था।
- वेद शब्द संस्कृत की विद् धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है जानना।
- वेदों का संकलन कृष्ण देपायन वेदव्यास ने किया था।
- ऋग्वेद सबसे पुराना वेद है।
- ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन तथा प्रामाणिक ग्रंथ है।
वेद त्रयी
1 . ऋग्वेद (होतृ)
2 . यजुर्वेद ( अधर्व्यु)
3 .सामवेद ( उद्गाता)
4 .अथर्ववेद
- 1,2,3,4 चतुर्वेदी में सम्मिलित है।
- 1,2,3 वेद त्रयी में सम्मिलित है।
- 1,2 द्विवेदी में सम्मिलित है।
ऋग्वेद
- इसमें 10 मंडल हैं।
- शुरुआत में इसमें 2 से 9 तक मंडल थे।
- बाद में 1 और 10 मंडल जोड़े गए।
- ऋग्वेद में 10,600 मंत्र है।
- ऋग्वेद में 1028 श्लोक है।
- कुल श्लोक में से 1017 सूक्त तथा 11 बालखिल्य है।
ऋग्वेद के तीसरे मंडल में गायत्री मंत्र है। यहा गायत्री मंत्र सूर्य देव (सवितृ देव) को समर्पित है।
ऋग्वेद का नया 9 वां मंडल सोमदेव पर आधारित है। सोमदेव वनस्पति के देवता है।
ऋग्वेद का दसवां मंडल पुरुष सूक्त से संबंधित है।पुरुष सूक्त में समाज के चार वर्णों का उल्लेख है।
चार वर्ण
- ब्राह्मण
- क्षत्रिय
- वैश्य
- शुद्ध
यजुर्वेद
- यज्ञ की क्रिया विधि से संबंधित।
यजुर्वेद को दो भागों में विभक्त किया गया है।
1 . गद्य भाग (कृष्ण यजुर्वेद)
- पद्य भाग ( शुक्ल यजुर्वेद)
- यजुर्वेद का पाठ करने वाला अधर्व्यु कहलाता है।
- यजुर्वेद कर्मकांड प्रधान ग्रंथ है।
सामवेद
- सामवेद में साम का तात्पर्य गायन से लिया गया है।
- सात स्वरों को पहली बार सामवेद में उल्लेखित किया गया।
- भारतीय संगीत का जनक सामवेद को कहा जाता है।
- सामवेद में 1603 ऋचाएं हैं। इसमें से 99 वी को छोड़कर शेष सभी ऋचाएं ऋग्वेद से ली गई है।
- सामवेद का पाठ करने वाला पंडित उदगाता कहलाता है।
अथर्ववेद
- अथर्ववेद में अथर्व का अर्थ होता है पवित्र जादू।
- यह सबसे नया तथा भिन्न वेद है।
- अथर्ववेद में 20 कांड तथा 711 सूक्त तथा 6000 मंत्र समाहित हैं।
- अथर्ववेद अंधविश्वासों से भरा वेद है।
- इसमें राजभक्ति, रोग निवारण, परिणय गीत तथा जादू टोनो का उल्लेख किया गया है।
- इसकी ज्यादातर ऋचाएं दुरात्मा तथा प्रेत आत्माओं पर आधारित है।
उपवेद
- वेदों को सही ढंग से समझने हेतु उपवेदों का निर्माण किया गया है।
- उनकी रचना समय-समय पर विभिन्न संत मुनिया द्वारा की गई थी।
- ऋग्वेद, आयुर्वेद, धन्वंतरी (चिकित्सा)
- यजुर्वेद, धनुर्वेद, विश्वामित्र (युद्ध कला)
- सामवेद, गंधर्ववेद, भरत मुनि (संगीत व अन्य कला)
- अथर्ववेद, शिल्प वेद, विश्वकर्मा (भवन निर्माण कला)
ब्राह्मण ग्रंथ
- वेदों को गद्य रूप में समझने हेतु ब्राह्मण ग्रंथों की रचना की।
- ब्राह्मण ग्रंथों के माध्यम से हम वेदों का सार समझ सकते हैं।
- हर वेद के अलग-अलग ब्राह्मण ग्रंथ रचित किए गए हैं।
ऋग्वेद, कोशितिकी एवं एतरेय
यजुर्वेद, तेतरीय व शतपथ
सामवेद, पंचविंश व षड़विष व ताडण्य महा।
अथर्ववेद, गोपथ
- ब्राह्मण ग्रंथ कर्मकांड पर आधारितहै।
- इनमें कर्मकांड को अत्यधिक महत्व दिया गया।
- सबसे महत्वपूर्ण ब्राह्मण ग्रंथ, शतपथ ब्राह्मण है।
- शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ याज्ञवल्क्य ऋषि द्वारा लिखा गया।
आरण्यक
- वे ग्रंथ जो वन या जंगल जैसे शांत वातावरण में बैठकर लिखे जाते हो।
- इनका संबंध आत्मा, परमात्मा, जन्म, मृत्यु तथा पुनर्जन्म से होता है।
- ब्राह्मण ग्रंथों का उपसहारात्मक अंश।
- यह कर्मकांड विरोधी होते हैं।
- इन्हें वन पुस्तक भी कहा जाता है।
- आरण्यक ग्रंथों को ज्ञान मार्ग व कर्म मार्ग के मध्य का सेतु कहा जाता है।
उपनिषद
- उपनिषद का तात्पर्य उस विद्या से है, जिसमें गुरु के समीप बैठकर ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
- उपनिषदों की कुल संख्या लगभग 300 है। परंतु 108 उपनिषदों को प्रभाविकता प्रदान की गई है।
- उपनिषद वेदों का अंतिम कर बताते हैं, इसीलिए इन्हें वेदांत कहा जाता है।
- भारतीय दर्शनिकता का प्रमुख स्रोत उपनिषदों को ही बताया गया है।
- प्रमुख उपनिषदों में वृहदारण्यक, जाबालोपनिषद, छादग्योपनिषद और मुण्डकोपनिषद प्रमुख है।
- जाबालोपनिषद से आश्रम व्यवस्था ली गई है।
- मुण्डकोपनिषद में भारत के आदर्श वाक्य ‘ सत्यमेव जयते’ का उल्लेख हैं।
वेदांग
- वेदों को सही से समझने तथा सही उच्चारण करने के उद्देश्य से वेदांगो का निर्माण किया गया है।
- वेदांग संख्या में 6 है।
- शिक्षा, उच्चारण के लिए
- व्याकरण, विश्लेषण के लिए
- निरुक्त, व्युत्पत्ति के लिए
- कल्प, धार्मिक अनुष्ठान के लिए
- छंद, छंद शास्त्र के लिए
- ज्योतिष, खगोल विज्ञान के लिए
दर्शन
- योग दर्शन, पतंजलि
- वैशेषिक दर्शन, कणाद तथा उलुक
- न्याय दर्शन, महर्षि गौतम
- सांख्य दर्शन, कपिल मुनि
- पूर्व मीमांसा, जेमिनिय
- उतर मिमान्सा, बाद नारायण
पुराण
- कुल 18 अध्याय
- सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक मत्स्य पुराण भगवान विष्णु के अवतारों का उल्लेख
महाकाव्य
- रामायण, वाल्मीकि के द्वारा लिखा गया।
- मूल रामायण में 6000 श्लोक थे।
- गुप्त काल आते-आते यह 24000 हो गए।
- इसीलिए रामायण को चतुर्विशती सहस्त्री संहिता भी कहा जाता है।
- इस महाकाव्य में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम का उल्लेख है।
- रामायण में सात कांड है।
- बालकांड
- किष्किंधा कांड
- अयोध्या कांड
- युद्ध कांड
- आरण्यक कांड
- उतर काण्ड
- सुंदरकांड
महाभारत
- वेदव्यास द्वारा रचित
- इसके लेखक गणेश जी थे।
- महाभारत में 8800 श्लोक हैं।
- जय संहिता के नाम से जाना जाता है।
- 24000 श्लोक, भारत के नाम से जानी गई।
- 100000 श्लोक महाभारत के नाम से जानी गई।
- पांडवों और कौरवों के युद्ध का वर्णन
वैदिक सभ्यता का राजनीतिक जीवन
- वैदिक समाज परिवार पर आधारित था।
- परिवार पितृसत्तात्मक हुआ करते थे
- परिवार का मुखिया कुलक अथवा कुलपति कहलाता था।
- परिवारों को मिलाकर ग्राम, ग्राम को मिलाकर मुखिया ग्रामणी कहलाता था।
- विभिन्न ग्राम मिलाकर विश का निर्माण करते थे।
- मुखिया विशपति के नाम से जाना जाता।
- विश को मिलाकर जन अथवा कबीले को निर्मित किया जाता। कबीले का प्रमुख राजा होता था।
- प्रशासन चलाने हेतु “सभा व समिति” नामक संस्थाएं होती थी।
सभा कबीले के महत्वपूर्ण फैसला लिया करती थी।
इसमें स्त्रियों की भी भागीदारी रहती थी।
सभा में फैसला हेतु गणपूर्ति अथवा कोरम आवश्यक था।
- समिति मिलकर राजा का चुनाव करते तथा धार्मिक व सैन्य मामलों हेतु विदध नाम की संस्था थी।
- ऋग्वेद में दशराज्ञ के युद्ध का वर्णन देखने को मिलता है।
- इस युद्ध में कुश्तू परिवार के राजा भरत के खिलाफ कबिले ने युद्ध किया था।
- यह युद्ध रावी नदी (पुरूषेणी) के किनारे लड़ा गया।
कुछ बड़े कबीलों के नाम
- पुरु
- यद
- तुर्वश
- अनु
- दूंधु
कुछ छोटे कबीलों के नाम
- अलील
- पक्त
- भलाल
- शिव
- विषाणिन
सामाजिक जीवन
वैदिक समाज चार वर्णों में बात हुआ था।
- ब्राह्मण
- क्षत्रीय
- वैश्य
- शूद्र
आश्रम व्यवस्था
- 0 से 25 वर्ष – बाल आश्रम
- 26 से 50 वर्ष – गृहस्थ आश्रम
- 51 से 75 वर्ष – वानप्रस्थ आश्रम
- 76 से 100 वर्ष – सन्यास आश्रम
जाबालोपनिषद में आश्रम व्यवस्था का उल्लेख किया गया है जो उक्त प्रकार का है।
विवाह के प्रकार
- ब्रह्म विवाह – कोई दहेज नहीं।
- देव विवाह – पुरोहित
- आर्ष विवाह – लड़की के पिता को एक बैल अथवा गाय देनी होती है।
- प्रजापात्य विवाह – वर्तमान में प्रचलित
- गंधर्व विवाह – लव मैरिज
- राक्षस विवाह – कन्या मूल्य (दापा)
- असुर विवाह – लड़की अपहरण
- पेशाच विवाह – पहले बलात्ससंग उसके पश्चात विवाह
सामाजिक जीवन में समाज में स्त्रियों की स्थिति
- स्त्रियों की स्थिति अच्छी थी।
- स्त्रियां धार्मिक अनुष्ठान, सभा इत्यादि में भाग लेती थी।
- कई विदुषी महिलाओं का उल्लेख मिलता है। जैसे अपाला, घोषा, विश्वारा, गार्गी।
- विधवा विवाह तथा नियोग का उल्लेख मिलता है।
- सती प्रथा का सकारात्मक उल्लेख मिलता है।
- समाज में लोग सर्वाहारी थे। यह लोग शाकाहार तथा मांसाहार दोनों का उपयोग करते थे।
- सिर्फ नमक व मछली का उपयोग नहीं किया जाताथा।
- घी में पके हुए मालपुए – अपूपम धर्तव्रतनम
- दही में डाला सत्तू – करम्भ
- दूध में चावल व शक्कर – क्षीर पाक
- आर्य सूती व ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे।
- महिला तथा पुरुष दोनों आभूषण पहना करते थे।
- इसमें प्रमुख रूप से सोना, चांदी, तांबा, लोहा का उल्लेख मिलता है।
- इनका पसंदीदा पे पदार्थ सोम रस था। सोमरस वनस्पतियों से निर्मित होता था।
आर्थिक जीवन
- वैदिक आर्यों का प्रमुख कार्य था, पशुपालन।
- संपत्ति का निर्धारण पशुओं पर होता था।
- कृषि भी करते थे।
- गाय का धार्मिक महत्व था।
- गाय को अधन्या माना गया।
- गाय पर कई शब्द भी देखे गए हैं। जैसे गव्यति (दूरी मापने का पैमाना), गोधूली (शाम का समय), गौमत (धनी व्यक्ति)।
आभूषण का कार्य होता था।
सोने के हार के लिए निष्क शब्द आया है।
निष्क का उपयोग मुद्रा के लिए भी किया गया।
धार्मिक जीवन
- वैदिक समाज में 33 कोटी देवी देवताओं का उल्लेख है।
- पूर्व वैदिक काल में इंद्र, वरुण, अग्नि तथा सोम को महत्वपूर्ण बताया गया है। परंतु धीरे-धीरे इनकी महता कम हुई तथा विष्णु के महता बढ़ गई।
- देवी देवताओं को प्रसन्न करने हेतु धार्मिक अनुष्ठान तथा कर्मकांड करते थे।
- पंच महायज्ञ का उल्लेख मिलता है। जैसे ब्रम्ह यज्ञ, भूत यज्ञ, नृप यज्ञ, पितृ यज्ञ और देव यज्ञ।
- उत्तर वैदिक काल आते-आते धार्मिक कर्मकांड बढ़ गए।
- सभा और समिति लुप्त हो गई।
- राजा का पद शक्तिशाली और वंशानुगत हो गया।
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वैदिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं?
- वैदिक काल प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक काल खंड है, जिस दौरान वेदों की रचना हुई थी। वेदों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इसे वैदिक सभ्यता का नाम दिया गया था। वैदिक सभ्यता आर्यों द्वारा स्थापित एक ग्रामीण सभ्यता थी। वैदिक संस्कृति सिन्धु सभ्यता के बाद अस्तित्व में आई थी।
वैदिक संस्कृति का दूसरा नाम क्या है?
- ऋग्वेद की वैदिक संस्कृत, जिसे ऋग्वैदिक संस्कृत कहा जाता है, सब से प्राचीन रूप है।
वैदिक संस्कृति को कितने भागों में बांटा गया है?
- वैदिक काल को ऋग्वैदिक या पूर्व वैदिक काल तथा उत्तर वैदिक काल में बांटा गया है।
वैदिक संस्कृति का अर्थ क्या है?
- वेद पवित्र आध्यात्मिक ज्ञान के लिए एक शब्द है। वेदों को सबसे पहले मौखिक रूप से प्रसारित किया गया था। यह माना जाता था कि ये वेद प्रामाणिक थे क्योंकि उनमें सभी वेदों में सबसे अधिक आध्यात्मिक ज्ञान था। इन वेदों के आधार पर, हम प्रारंभिक आर्यों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, और इस संस्कृति को वैदिक संस्कृति के रूप में जाना जाता है।