अंतःस्रावी ग्रंथियां क्या हैं? अंतःस्रावी ग्रंथियाँ आपके रक्तप्रवाह में हार्मोन छोड़ती हैं। आपकी अंतःस्रावी ग्रंथियाँ प्रजनन, चयापचय, विकास और कई अन्य कार्यों को प्रभावित करती हैं। आपके शरीर में एक्सोक्राइन ग्रंथियाँ भी होती हैं - ये ऐसी ग्रंथियाँ हैं जो रसायनों को बनाती हैं और उन्हें नली में छोड़ती हैं।
अंतः स्त्रावी ग्रंथियां
अंतः स्त्रावी ग्रंथियां
अतः स्रावी तंत्र
बही: स्त्रावी ग्रंथियां
वे ग्रंथियां जिनके द्वारा स्रावित स्त्राव को विभिन्न अंगों तक पहुंचाने के लिए नलिकाएं होती है।
वे ग्रंथियां जो नलिका के अभाव में हार्मोन को सीधे रुधिर परिसंचरण में स्रावित करती है, इन्हें नलिका विहीन ग्रंथियां भी कहते हैं।
उदाहरण
पीयूष ग्रंथि
थाइमस ग्रंथि
मिश्रित ग्रंथियां
वे ग्रंथियां, जो बही: स्त्रावी तथा अंत स्त्रावी दोनों ही प्रकार की होती है, मिश्रित ग्रंथियां कहलाती है।
उदाहरण
अग्नाशय
अतः स्रावी तंत्र
चित्र मनुष्य के अंत स्त्रावी ग्रंथियां, नर और मादा में
मानव में नलिका विहीन ग्रंथियां सीधा रुधिर वाहिनियों में स्रवण करती है
इन ग्रंथियो से स्रावित पदार्थ को हार्मोन कहते हैं।
यह शरीर में रुधिर परिवहन का काम करता है।
हार्मोन शरीर में होने वाली क्रियायो, जैसे- परिसंचरण, पाचन इत्यादि का संचालन तथा नियमन करता है
अगर हार्मोन कम मात्रा में स्रावित होते हैं तो इनका प्रभाव भी मंद गति से होता है।
अतः स्रावित तंत्र में पाई जाने वाली ग्रंथियां
A. पीयूष ग्रंथि
वृद्धि हार्मोन का स्रवण
मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं
इसके द्वारा शरीर की अन्य अंत: स्त्रावी ग्रंथियो का नियंत्रण किया जाता है
वृद्धि हार्मोन असंतुलन से व्यक्ति या तो लंबा या बोना हो जाता है
पीयूष ग्रंथि से स्रावित हार्मोन
वृद्धि हार्मोन अथवा सोमेटोट्रॉपिक हार्मोन
शरीर की वृद्धि या हड्डियों की वृद्धि पर नियंत्रण करता है
इसकी अधिकता से भीमकायता अथवा एक्रोमिगेली रोग उत्पन्न हो जाते हैं
थाइरोट्रापिक अथवा थायराइड प्रेरक हार्मोन
यह हार्मोन थायराइड ग्रंथि के कार्यों को प्रभावित करता है
एड्रेनोकॉर्टिको ट्रॉपिक हार्मोन
अधिवृक्क ग्रंथि के कोरटेक्स को प्रेरित करता है
गोनेडोट्रॉपिक हार्मोन
जनन ग्रंथियो की क्रियाशीलता को प्रभावित करता है
a. फॉलिकल उत्तेजन हार्मोन
पुरुषों में शुक्रजन तथा स्त्रियों में अंडाशय से अंडोत्सर्ग फॉलिकल की वृद्धि में सहायक है
b. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन तथा स्त्रियों में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्त्राव को प्रेरित करता है
दुग्ध जनक हार्मोन
हार्मोन का मुख्य कार्य शिशु के लिए स्तनों में दुग्ध स्राव उत्पन्न करता है।
कार्पस ल्यूटियम का स्त्रावी करता है
मिलेनोसाइट प्रेरक हार्मोन
मनुष्य में चकते पड़ने को प्रेरित करता है
जंतुओं व पक्षियों में यह मिलेनिन से त्वचा के रंग को प्रभावित करता है
वेसोप्रेसिन हार्मोन
वृक्क की मूत्र वाहिनियों को जल पुनरावशोषण के लिए प्रेरित करता है
ऑक्सीटोसिन अथवा पाइटोसिन हार्मोन
गर्भाशय की अरेखित पेशियो में सिकुड़न पैदा करता है।
इसके कारण प्रसव पीड़ा उत्पन्न होती है और बच्चे के जन्म में सहायता मिलती है।
स्तन से दुग्ध स्राव में सहायक है।
B. थायराइड ग्रंथि अथवा अवटु ग्रंथि
थायरोक्सिन हार्मोन को स्रावित करती है।
श्वास नली के अधर पार्श्व तल पर स्वर यंत्र के समीप स्थिति होती है।
थायरोक्सिन हार्मोन शरीर में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि का उपापचय करता है
थायरोक्सिन हार्मोन के लिए आयोडीन आवश्यक है, आयोडीन की कमी से शरीर में थायरोक्सिन हार्मोन का संतुलन बिगड़ने के कारण गलगंड अथवा गाइटर रोग हो जाता है
C. परावटु ग्रंथि
मटर की आकृति की पालियुक्त ग्रंथि है।
थायराइड ग्रंथि के पीछे स्थित होती है
परावटु ग्रंथि से स्रावित होने वाले हार्मोन
पैरा थायराइड हार्मोन
कैल्सीटोनिन हार्मोन
दोनों हार्मोन रक्त में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा का नियंत्रण करते हैं।
D. पीनियल ग्रंथि
मस्तिष्क के एपिथेलेमस भाग से जुड़ी होती है
मेलाटोनिन हार्मोन
जैविक सक्रियता से संबंधित
प्रकाश संवेदी हार्मोन
कुछ उभयचर प्राणियों में यह त्वचा के रंग का निर्धारण करता है
सिरेटोनिन हार्मोन
मस्तिष्क व अन्य अंगों में न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में कार्य करते हैं
E. थाइमस ग्रंथि
वक्ष स्थल पर पाई जाती है
थायमेसीन हार्मोन के अलावा, थायमिन-1 थायमिन-2 हार्मोन स्रावित होते हैं
शरीर में लिंफोसाइट कोशिकाएं बनाने में सहायक
लिंफोसाइट को जीवाणु एवं एंटीजन को नष्ट करने में प्रेरित करती है, इस प्रकार शरीर में एंटीबॉडी बनती है तथा शरीर में सुरक्षा तंत्र स्थापित होता है
हार्मोन प्रतिरक्षा तंत्र को सुविकसित करता है, इस प्रकार शरीर रोगाणु से लड़ने में सक्षम बनता है। इस ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने से टॉन्सिलाइटिस रोग हो जाता है फलस्वरुप टॉन्सिल बढ़ जाते हैं।
F. अग्नाशय
इंसुलिन हार्मोन का स्रवण होता है
छोटी आंत के अग्र भाग ग्रहणी के पास स्थित
हार्मोन रक्त शर्करा का नियंत्रण करता है
इंसुलिन हार्मोन की मात्रा असंतुलित हो जाती है, तो मधुमेह नामक रोग हो जाता है
G. एड्रिनल ग्रंथि
अधिवृक्क ग्रंथि है, एड्रीनलीन हार्मोन का स्त्रवण
किडनी के ऊपर स्थित
इस हार्मोन का स्त्रवण रक्त में होता है, संकट के समय हृदय की धड़कन तेज होना तथा शरीर की पेशियां में ऑक्सीजन की पूर्ति करने का कार्य
एड्रिनल मेडुला में दो हार्मोन का स्राव होता है,
एड्रीनेलिन
संकटकालीन परिस्थितियों में उचित उठाने का निर्णय ले सकता है
हृदय स्पंदन दर को बढ़ाता है
रोंगटे खड़े होने में और आंखों की पुतलियां को फैलाने जैसे कार्य करता है
लड़ो या उड़ो हार्मोन कहा जाता है
नॉर एड्रिनेलिन
समान रूप से हृदय पेशियां की उत्तेजनशीलता व संकुचनशीलता को तेज करते हैं
H. नर जनन ग्रंथि
ग्रंथि बालक में यौवनारम्भ के समय टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्त्रवण करती है
बालक के किशोरावस्था के लक्षण और जनन अंगों का विकास
I. मादा जनन ग्रंथि
अंडाशय के उदरगुहा में स्थित होता है
मादा जनन ग्रंथि से स्रावित हार्मोन
एस्ट्रोजन
एस्टेरॉइड होता है, यौवनारम्भ के यौन लक्षणों जैसे गर्भाशय, यौनि तथा स्तनों के विकास को प्रेरित करता है
प्रोजैस्टेरॉन
एस्ट्रोजन से सहयाेजित होकर स्तन के विकास व दुग्ध ग्रंथियो को सक्रिय करता है
गर्भाशय एवं प्रसव में होने वाले परिवर्तनों से संबंधित