संविधान के भाग – 2 और 3
भारतीय संविधान के भाग 2 और 3 में ये बातें बताई गई हैं:
भाग 2 में नागरिकता से जुड़े प्रावधान हैं. इसमें संविधान के लागू होने के समय देश के नागरिकों के बारे में बताया गया है. साथ ही, देश के बंटवारे से प्रभावित लोगों के लिए विशेष शर्तें भी तय की गई हैं.
भाग 3 में मौलिक अधिकारों से जुड़ी बातें बताई गई हैं. इसमें मौलिक अधिकारों और अन्य वैधानिक अधिकारों में अंतर, न्यायिक समीक्षा के सिद्धांत, मौलिक अधिकारों में संशोधन, मौलिक अधिकारों का निलंबन, मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण, समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के ख़िलाफ़ अधिकार, धर्म की आज़ादी का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार, और पांच तरह के रिट जैसे विषय शामिल हैं.
संविधान के भाग – 2 और 3 | Indian Polity (भारतीय राजव्यवस्था)
संविधान के भाग – 2 और 3
नागरिकता
भाग 2
अनुच्छेद 5 से 11
- नागरिकता लोकतंत्रात्मक राजव्यवस्था को कानूनी स्वरूप प्रदान करती है
- भारतीय संविधान में ‘एकल नागरिकता’ का प्रावधान है
- राज्यों के लिए अलग से नागरिकता का प्रावधान नहीं किया गया है
नागरिकता अधिनियम
- हमारे संविधान में संसद को यह अधिकार दिया है कि वह भारतीय नागरिकता से संबंधित विषयों के संबंध में व्यवस्था करें
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955
इस अधिनियम के अनुसार निम्नलिखित में से किसी एक आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है
- जन्म से
- रक्त संबंध अथवा वंशाधिकार
- पंजीकरण द्वारा
- देशीयकरण द्वारा
- भूमि विस्तार द्वारा
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1986
इस अधिनियम द्वारा नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन कर नागरिकता प्राप्त करने की शर्तों में परिवर्तन किया जा सकता है-
- जन्म केवल भारत में हुआ हो
- पंजीकरण से पूर्व कम से कम 5 वर्ष निवास जरूरी
- देशीयकरण के तहत कम से कम 10 वर्ष तक भारत में रह चुका हो
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2005
अधिनियम के तहत सभी देशों के भारतीय मूल के व्यक्तियों को विदेशी भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान शामिल किए गए हैं
- इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल नहीं है
- इस दोहरी नागरिकता को ओवरसीज सिटीजनशिप आफ इंडिया अथवा OCI कहा जाता है
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019
- संशोधन के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन अथवा ईसाई समुदाय के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
मौलिक अधिकार
- भारतीय संविधान में व्यक्ति की गरिमा को सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया है
- संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकारों का उल्लेख है
- मूल अधिकार अमेरिकी संविधान से लिए गए हैं
- भाग 3 को संविधान का मैग्नाकार्टा कहा जाता है
1215 में इंग्लैंड के सम्राट जॉन ने लिखित रूप से नागरिकों को कुछ अधिकारों की सुरक्षा प्रदान की जिसे अधिकार पत्र अथवा मैग्नाकार्टा कहा गया
- मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकारों का उल्लेख था
- वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार है
- 44 में संविधान संशोधन द्वारा 1978 में संपत्ति के अधिकार को समाप्त करके विधिक अधिकार बना दिया (अनुच्छेद 300A)
मूल अधिकारों की प्रकृति 'नकारात्मक' होती है
अनुच्छेद 12
- राज्य शब्द को परिभाषित किया गया है
- इसके अनुसार वे सभी संस्थाएं राज्य शब्द की परिभाषा में शामिल है, जिनकी स्थापना सरकार ने की है अथवा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता प्राप्त करती है
अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद में मूल अधिकारों की रक्षा का उपबंध है
- कोई भी ऐसी विधि जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, उल्लंघन की मात्रा तक शून्य होगी
अनुच्छेद 13 (2)
- इसमें विधि शब्द को परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार संसद के सभी कानून, राज्य विधान मंडल के सभी कानून, अध्यादेश, नियम, अधिसूचना तथा परिपत्र शामिल है
- न्यायिक पुनर्विलोकन – अनुच्छेद 13 न्यायिक पुनर्विलोकन का आधार है। यह पहले से लागू तथा भविष्य में बनाए जाने वाली सभी विधियो को न्यायिक पुनर्विलोकन के अधीन लाता है
- भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद में न्यायिक पुनर्विलोकन शब्द का उल्लेख नहीं है।
- उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद 32 के अंतर्गत जबकि उच्च न्यायालय को अनुच्छेद 226 के अंतर्गत मूल अधिकारों का उल्लंघन करने वाली विधियो को वैध घोषित करने की शक्ति प्राप्त है
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक)
अनुच्छेद 14
विधि के समक्ष सभी समान होंगे एवं विधि के समान संरक्षण
- विधि के समक्ष समानता – इंग्लैंड से ली गई
- विधि के समक्ष संरक्षण – अमेरिका से ली गई
अनुच्छेद 15
- राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग एवं जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा
- समाज के सभी वर्गों के लिए सभी सार्वजनिक स्थान, तालाब, कुए इत्यादि बिना किसी भेदभाव के खुले रहेंगे
अनुच्छेद 15 (3)
- महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष प्रावधान राज्य द्वारा किया जा सकेगा
अनुच्छेद 15 (4)
- राज्य SC और ST तथा सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकेगा
अनुच्छेद 15 (5)
- राज्य SC और ST तथा पिछड़े हुए लोगों के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है
- 103 वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा जोड़ा गया। इसके द्वारा कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार अथवा कारोबार करने के लिए अथवा शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए राज्य सरकार आर्थिक रूप से कमजोर भाग की उन्नति के लिए वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त 10% आरक्षण का प्रावधान करेगी।
अनुच्छेद 16
- सभी व्यक्तियों को सरकारी पदों पर नियुक्ति के समान अवसर प्राप्त होंगे
इसमें यह भी उल्लेखित है कि राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, मूल वंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, लिंग तथा उद्धव के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा
अनुच्छेद 16 (3)
- राज्य चाहे तो निवास स्थान के आधार पर भेदभाव कर सकता है
अनुच्छेद 16 (4)
- सरकार समाज के पिछड़े लोगों तथा जिनके सरकार नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है, के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकेगी
अनुच्छेद 16 (4) (क)
- 77वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1995 द्वारा जोड़ा गया था। इसमें राज्य को यह शक्ति दी गई है कि वह ST और SC के लिए प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है
अनुच्छेद 16 (4) (ख)
- 81 में संविधान संशोधन अधिनियम, 2000 द्वारा जोड़ा गया। इसके द्वारा सेवाओं में आरक्षण में अग्रनयन के नियम को मान्यता प्रदान किया गया है
अनुच्छेद 16 (5)
- राज्य द्वारा निर्मित कोई ऐसी विधि जो धार्मिक अथवा सांप्रदायिक संस्था के किसी पदाधिकारी अथवा सदस्य के रूप में किसी विशिष्ट धर्म अथवा संप्रदाय के लोगों को ही नियुक्त करने का प्रावधान करती है
अनुच्छेद 16 (6)
- 103 वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा अंतः स्थापित किया गया। इसके अंतर्गत राज्य आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों के लिए वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त प्रत्येक श्रेणी के पदों में अधिकतम 10% के आरक्षण का किया जा सकता है
अनुच्छेद 17
- इसके द्वारा अस्पृश्यता\ छुआछूत पर रोक लगाई गई है
- अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए वर्ष 1955 में ‘नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम’ बनाया गया है
- इसके अलावा SC और ST के विरुद्ध अत्याचारों को रोकने हेतु ‘ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989’ भी बनाया गया है
अनुच्छेद 18
- इसके द्वारा सैन्य तथा शिक्षा के अलावा सभी प्रकार की उपाधियो को समाप्त कर दिया गया है
- कोई भी भारत का नागरिक सरकार की अनुमति के बिना किसी भी अन्य देश से कोई उपाधि नहीं लेगा
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 तक)
अनुच्छेद 19 (1)
मूल संविधान में इसमें 7 स्वतंत्रताएं प्रदान की गई थी। वर्तमान में 6 स्वतंत्रताएं उल्लेखित है।
a. भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
b. बिना हथियारों एवं शांतिपूर्वक सम्मेलन की स्वतंत्रता
c. संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता
d. घूमने फिरने की स्वतंत्रता
e. रहने या बसने की स्वतंत्रता
f………..
g. व्यापार या वाणिज्य करने की स्वतंत्रता
- 44वें संविधान संशोधन, 1978 के द्वारा ‘ संपत्ति अर्जित करने की स्वतंत्रता’ अनुच्छेद 19 (1)(f) को समाप्त कर दिया गया है।
- ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ तथा ‘सूचना का अधिकार’ इन दोनों को ‘भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का भाग माना जाता है।
अनुच्छेद 20
इसके अंतर्गत निम्न बातों का उल्लेख है
A. जब किसी व्यक्ति ने अपराध किया है, उस व्यक्ति को उस समय के कानून के तहत सजा दी जाएगी।
B. एक व्यक्ति को एक अपराध के लिए दो बार सजा नहीं दी जा सकती।
C. किसी भी व्यक्ति को समय के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है
अनुच्छेद 21
- इसके तहत सभी व्यक्तियों को जीने तथा दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णय में इस अधिकार के अंतर्गत लगभग 60 अन्य अधिकारों को स्वीकार किया है इसमें से कुछ निम्न है-
- विदेश जाने का अधिकार – मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
- निजता का अधिकार – PUCL बनाम भारत संघ (1998)
- शुद्ध जल और वायु पाने का अधिकार – सुभाष कुमार बनाम बिहार राज्य (1991)
- चिकित्सा सहायता पाने का अधिकार – परमानंद कटारा बनाम भारत संघ (1989)
अनुच्छेद 21 (क)
- 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- 86वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2002 में इस अनुच्छेद को जोड़ा गया
अनुच्छेद 22
- किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय जो अधिकार प्राप्त होते हैं, अधिकारों का उल्लेख इस अनुच्छेद में है-
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी के कारणों को जानने का अधिकार है।
- उसे वकील की सहायता प्राप्त करने का अधिकार है।
- उसे 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 22 में यह भी उल्लेखित है किसी व्यक्ति को ‘ निरोधक कानून’ के तहत गिरफ्तार किया जाता है तो उसे यह अधिकार प्राप्त नहीं होंगे
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
अनुच्छेद 23
- इसके तहत बेगार प्रथा तथा मानव व्यापार पर रोक लगाई गई
- अनुच्छेद 23 में यहां भी उल्लेखित है की सरकार चाहे तो राष्ट्रहित में लोगों से काम करवा सकता है
अनुच्छेद 24
- इसके तहत यह प्रावधान किया गया है की 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किसी भी खतरनाक कारखाने में किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं करवाया जाएगा
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
अनुच्छेद 25
- इस अनुच्छेद के तहत सदाचार, लोक व्यवस्था तथा स्वास्थ्य के अंतर्गत रहते हुए सभी व्यक्तियों को ‘अंतकरण की स्वतंत्रता’, अपने-अपने को मानने, उसका प्रचार प्रसार करने तथा धर्म के अनुरूप आचरण करने का अधिकार होगा
- इस अनुच्छेद में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है की आर्थिक प्रलोभन या दबाव में धर्म परिवर्तन करने पर रोक लगाई जा सकती है
- इसमें यह भी उल्लेखित है कि हिंदू धर्म के सभी स्थल समाज के सभी वर्गों के लिए खुले रहेंगे
- इसमें यह भी उल्लेखित है कि हिंदू का अर्थ सिख, जैन और बौद्ध से भी है
- इसमें यह पर उल्लेखित है कि सिखों के द्वारा कृपाण को धारण करना धर्म के अनुरूप आचरण है
अनुच्छेद 26
सदाचार, लोक व्यवस्था तथा स्वास्थ्य के अध्ययन रहते हुए सभी व्यक्तियों को-
A. अपने धार्मिक संस्थाओं को स्थापित करने
B. उनका प्रबंधन करने
C. जंगम और स्थावन संपत्ति को अर्जित करने
D. उस संपत्ति का प्रबंध अथवा उपयोग करने का अधिकार होगा
अनुच्छेद 27
- राज्य किसी भी व्यक्ति को एक धर्म को बढ़ावा देने हेतु, कर देने हेतु बाध्य नहीं कर सकता
अनुच्छेद 28
- किसी भी शिक्षण संस्थान में कोई भी धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकेगी
- लेकिन धार्मिक शिक्षा के उद्देश्य से स्थापित शिक्षण संस्थानों में उस धर्म से संबंधित शिक्षा दी जा सकेगी
- अनुच्छेद 28 के तहत किसी भी विद्यार्थी को बिना उसकी अनुमति के धार्मिक प्रार्थना में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार (अनुच्छेद 29 और 30)
अनुच्छेद 29
- सभी अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार होगा
अनुच्छेद 30
- सभी अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने तथा उनका प्रबंधन करने का अधिकार होगा
मदरसो में दी जाने वाली इस्लामी शिक्षा का आधार अनुच्छेद 30 है।
अनुच्छेद 31
- संपत्ति का अधिकार जो 44वे संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1978 में मूल अधिकार के रूप में समाप्त कर दिया गया
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
- इसका अभिप्राय यह है कि नागरिक अधिकारों को लागू करने के लिए न्यायपालिका की शरण ली जा सकती है।
- डॉक्टर अंबेडकर – इन्होंने अनुच्छेद 32 को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा
अनुच्छेद 32
- यदि हमारे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो सर्वोच्च न्यायालय इन अधिकारों की रक्षा के लिए पांच याचिकाए जारी कर सकता है-
- बंदी प्रत्यक्षीकरण –
- इसका शाब्दिक अर्थ ‘ शरीर सहित उपस्थित’ करना है
- किसी भी व्यक्ति को अवैध रूप से बंदी बनाने पर उसे छुड़वाने हेतु यह याचिका जारी की जाती है
- परमादेश-
- इस आदेश द्वारा न्यायालय उसे पदाधिकारी को अपने कर्तव्य निर्वहन के लिए आदेश जारी कर सकता है। जो पदाधिकारी अपने कर्तव्य का समुचित पालन नहीं कर रहे हैं
- अधिकार पृच्छा
- किसी भी व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से किसी पद को ग्रहण कर लेने पर उसे हटाने हेतु यह याचिका जारी की जाती है
- प्रतिषेध
- यह आलेख सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा अपने अधीनस्थ न्यायालय को जारी करते हुए निर्देश दिया जाता है कि इस मामले में कार्रवाई नहीं करें क्योंकि यह उसके क्षेत्राधिकार से बाहर है।
- उत्प्रेषण-
- इसका उपयोग किसी भी विवाद को निम्न न्यायालय से उच्च न्यायालय में भेजने के लिए जारी किया जाता है। जिससे कि वह अपने शक्ति से अधिक अधिकारों का प्रयोग न करें
- अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय इन पांच रीट के अलावा एक और रीट जारी कर सकता है जिससे ‘अंतरिम राहत’ कहा जाता है
मूल अधिकारों से संबंधित प्रमुख वाद-
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- मूल अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता है
- 24वे संविधान संशोधन (1971)
- मूल अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है
- मिनर्वा मिल्स बना भारत संघ (1980)
- न्यायालय द्वारा किसी भी संशोधन का पुनर्विलोकन किया जा सकता है
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