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गवर्नर जनरल
गवर्नर जनरल / वायसराय
भारत में ब्रिटिश कंपनी के आगमन के साथ ही गवर्नर अथवा गवर्नर जनरल का नाम सुना जाने लगा
सामान्यतः यह पद भारत में कंपनी के सर्वोच्च पदाधिकारी को प्रदान किया जाता था
गवर्नर जनरल ब्रिटिश भारत का एक सर्वोच्च अधिकारी होता था यह पद केवल अंग्रेजों के लिए आरक्षित था
1858 ई तक गवर्नर जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्ही के प्रति उत्तरदाई होता था
1858 ई के अधिनियम के द्वारा गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा और अब उसकी नियुक्ति में ब्रिटेन के क्राउन, ब्रिटिश सरकार और भारत के राज्य सचिव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे
यह व्यवस्था भारत के स्वतंत्र होने तक कायम रही
बंगाल के गवर्नर
रॉबर्ट क्लाइव (1757 से 1760 तक, 1765 से 1767 ई तक)
क्लाइव को 1757 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया। इसने अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय के साथ 1765 ईस्वी में इलाहाबाद की संधि की तथा बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना की
इसने कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उपहार लेने पर रोक लगा दी
हॉलवेल (1760 ई)
हॉलवेल ने ब्लैक होल की घटना (1756 ई) का वर्णन किया
वेंसिटार्ट (1760 से 1765 ई)
इसके समय में प्रसिद्ध बक्सर का युद्ध हुआ
बंगाल के गवर्नर जनरल
1773 ई के रेग्युलेटिंग एक्ट के अनुसार बंगाल के गवर्नर को अब अंग्रेजी क्षेत्र का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा, जिसका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया
मद्रास एवं बंबई के गवर्नर को भी इसके अधीन कर दिया गया। इसीलिए उस समय बंगाल के गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स को ही बंगाल का गवर्नर जनरल कहा गया
वारेन हेस्टिंग्स (1772 से 1785 ई)
वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का अंतिम गवर्नर था, जिसने बंगाल में स्थापित द्वैध शासन को समाप्त कर दिया
इसके शासनकाल में 1773 ई के रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत कलकता में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना 1774 ईस्वी में की गई
इसके संरक्षण में चार्ल्स विलकिंस ने भगवद गीता का अंग्रेजी में अनुवाद किया तथा सर विलियम जोंस ने 1784 ईस्वी में ‘एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल’ की स्थापना की
1780 ईस्वी में भारत का पहला समाचार पत्र ‘द बंगाल गजट’ का प्रकाशन जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा किया गया
लार्ड कार्नवालिस (1786 से 1793 ई तक)
इसके समय में समस्त जिलों का अधिकार कलेक्टरों को सौंप दिया गया
एकमात्र गवर्नर जनरल है जिसकी समाधि भारत के गाजीपुर (up) में है
कार्नवालिस को भारतीय सिविल सेवा का जनक माना जाता है
न्यायिक क्षेत्र में शक्ति के पृथक्करण का सिद्धांत दिया तथा कार्नवालिस संहिता एवं रेवेन्यू बोर्ड (स्थाई बंदोबस्त) की स्थापना की
लॉर्ड वेलेजली (1798 से 1805 ई)
लॉर्ड वेलेजली को भारत में सहायक संधि का जनक माना जाता है
इसने निम्नलिखित रियासतों के साथ सहायक संधि की
हैदराबाद (1798 ई) – सर्वप्रथम
मैसूर (1799 ई)
तंजौर (1799 ई)
अवध (1801 ई)
पेशवा (1802 ई)
इसी के समय में कलकता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गई
यह स्वयं को बंगाल का शेर कहता था
इसके समय चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध (1799 ई) हुआ
लॉर्ड मिंटो प्रथम (1807 से 1813 ई)
इसके कार्यकाल में 1813 ई का चार्टर एक्ट पारित हुआ
महाराजा रणजीत सिंह के साथ प्रसिद्ध अमृतसर की संधि (1809 में) हुई
लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813 से 1823 ई तक)
इसी के समय 1822 ईस्वी में बंगाल में काश्तकारी अधिनियम लागू किया गया
लॉर्ड एम्हस्र्ट (1823 से 1828 ई तक)
इसके समय में प्रथम आंग्ल बर्मा युद्ध (1824 से 1826 ई तक) हुआ तथा बर्मा पराजित हुआ और 1826 ई के मध्य दोनों के बीच यांडबू की संधि हुई
लॉर्ड विलियम बैंटिक (1828 से 1833 ई तक)
बंगाल का अंतिम गवर्नर जनरल
लॉर्ड विलियम बैंटिक के समय ही भारत में सामाजिक सुधार को गति प्राप्त हुई
उसने राजा राममोहन राय के सहयोग से 1829 ईस्वी में सती प्रथा को समाप्त किया। इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर 1829 ईस्वी में धारा 17 के द्वारा विधवाओं का सती होना अवैध घोषित कर दिया
कर्नल स्लिमन की सहायता से ठगी प्रथा को समाप्त कर दिया, शिशु एवं बालिका ह्त्या पर भी प्रतिबंध लगा दिया
1833 ई के चार्टर एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया। क्योंकि इस समय लॉर्ड विलियम बैंटिक बंगाल का गवर्नर जनरल था अतः बेंटिक ही भारत का प्रथम गवर्नर जनरल कहलाया
विधि आयोग का गठन किया
चार्ल्स मेटकोफ़ (1835 से 1836 ई तक)
समाचार पत्रों से प्रतिबंध हटा दिया, इसे ‘समाचार पत्रों का मुक्तिदाता’ कहा जाता है
लॉर्ड ऑकलैंड (1836 से 1842 ई तक)
इसने ग्रांड ट्रंक रोड की मरम्मत करवाई
महाराजा रणजीत सिंह एवं शाहसुजा के मध्य (त्रिदलीय)संधि हुई
लॉर्ड एलनबरो (1842 से 1844 ई तक)
इसने 1846 ई के एक्ट V के द्वारा दास प्रथा उन्मूलन कानून को लागू किया
लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 ई तक)
इसके शासनकाल में द्वितीय आंग्ल सिख (1848 से 1849 ई तक) युद्ध हुआ तथा इसने 1849 ईस्वी में पंजाब का अंग्रेजी राज्य में विलय कर दिया
लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत सिद्धांत के तहत भारत के कई देशी राज्यों- सतारा (1848 ई), जेतपुर व संभलपूर (1849 ई) उदयपुर (1852 ई), झांसी (1853 ई), नागपुर (1854 ई) को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया
किसने कर रहित जगीरो का पता लगाने एवं उसे वापस लेने के लिए 1852 ईस्वी में इनाम कमीशन की स्थापना की
लॉर्ड डलहौजी ने 1856 ईस्वी में अवध के नवाब वाजिद अली शाह पर कुशासन का आरोप लगाकर अवध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिल लिया
इसी के कार्यकाल में भारत में पहली बार 1853 को बंबई से थाणे के बीच (34 किलोमीटर) रेल चलाई, इसलिए लॉर्ड डलहौजी को भारत में रेल यात्रायात का जनक माना जाता है
1854 ईस्वी में नया पोस्ट ऑफिस एक्ट पारित हुआ और भारत में पहली बार डाक टिकट का प्रचलन हुआ
1853 ईस्वी में कलकता से आगरा के बीच पहली बार बिजली से संचालित तार सेवा की शुरुआत हुई
शिक्षा संबंधी सुधारो में 1854 ईस्वी में वुड डिस्पैच नीति लागू की गई, जिसके तहत प्रत्येक प्रदेश में एक शिक्षा निदेशक की नियुक्ति हुई
1854 में सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की स्थापना की
रुड़की में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की
आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है
लॉर्ड कैनिंग (1856 से 1858 ई)
इसी के समय में 1857 ई का विद्रोह हुआ
वह भारत का अंतिम गवर्नर जनरल तथा प्रथम वायसराय था
इसी के समय में 1856 ईस्वी में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ
1857 ईस्वी में बंबई, मद्रास एवं कलकता में एक-एक विश्वविद्यालय की स्थापना हुई
भारत के वायसराय
मई 1857 के विद्रोह के पश्चात भारत में कंपनी के शासन को समाप्त कर शासन का अधिकार ब्रिटिश क्राउन को दे दिया गया
1858 ईस्वी में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम के तहत गवर्नर जनरल को भारत का वायसराय कहा जाने लगा
लॉर्ड कैनिंग इस समय भारत का गवर्नर जनरल था, इसीलिए वहीं भारत का वायसराय कहलाया
लॉर्ड कैनिंग (1858 से 1862 ई तक)
भारतीय दंड संहिता (1860 ई)
1858 ई का एक्ट भी इसी के समय में लागू हुआ, जिसमें महारानी विक्टोरिया को भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया
1861 ई का भारतीय परिषद अधिनियम और भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम के तहत कलकता, बंबई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालय की स्थापना गई
सर जॉन लॉरेंस (1863 से 1869 तक)
वायसराय ने हेनरी कैंपबेल के नेतृत्व में एक अकाल आयोग का गठन किया
1865 ईस्वी में इसने भारत और यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा शुरू करवाई
लॉर्ड मेयो (1869 से 1872 ई तक)
भारत में वित्तीय विकेंद्रीकरण का जनक
1872 ईस्वी में भारत में प्रथम जनगणना इसी के समय हुई
इसने 1872 ईस्वी में कृषि विभाग की स्थापना करवाई
लॉर्ड मेयो की हत्या उसके कार्यकाल के दौरान एक अफगान द्वारा अंडमान में कर दी गई
लॉर्ड नॉर्थब्रुक (1872 से 1876 ई तक)
इसके समय 1872 ईस्वी में नेटिव मैरिज एक्ट पारित हुआ, जिसके तहत अंतर्जातीय विवाह को मान्यता दी गई
पंजाब में कूका विद्रोह (1872 ई) इसी के काल में हुआ
लॉर्ड लिटन (1876 से 1880 तक)
साहित्यकारों में इसे ओवन मैरिडिथ के नाम से जाना जाता था
इसने रिचर्ड स्ट्रेची की अध्यक्षता (1878 ई) में एक अकाल आयोग का गठन किया
लॉर्ड लिटन ने 1877 ईस्वी में दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन किया, जिसमें महारानी विक्टोरिया को केसर ए हिंद की उपाधि प्रदान की गई
इसने भारतीय नागरिक सेवा में शामिल होने हेतु भारतीयों की आयु को 21 वर्ष से घटकर 19 वर्ष कर दिया
इसी के समय अलीगढ़ में एक मुस्लिम एंग्लो प्राच्य महाविद्यालय की स्थापना की गई
लॉर्ड लिटन ने 1878 ईस्वी में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित कर प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया
भारतीय शस्त्र अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति के द्वारा बिना लाइसेंस शस्त्र धारण किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया
लॉर्ड रिपन (1880 से 1884 ई तक)
भारत के उद्धारक के रूप में जानते हैं
रिपन के समय 1881 ईस्वी में प्रथम नियमित जनगणना करवाई गई
1881 ईस्वी में प्रथम कारखाना अधिनियम लाया गया
रिपन ने सर्वप्रथम समाचार पत्रों की स्वतंत्रता को बहाल करते हुए 1882 ईस्वी में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त कर दिया
सिविल सेवा में प्रवेश हेतु आयु को 19 वर्ष से बढाकर 21 वर्ष कर दिया
स्थानीय स्वशासन की शुरुआत लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में ही 1882 ईस्वी में हुई थी
उसने शैक्षिक सुधारो के अंतर्गत 1882 ईस्वी में विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक शिक्षा आयोग का गठन किया
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने लॉर्ड रिपन को भारत के उद्धारक की उपाधि दी
लॉर्ड डफरिन (1884 से 1888 ई तक)
इसके कार्यकाल में 1885 ईस्वी में A.O. ह्यूम के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई
लॉर्ड लेंसडाउन (1888 से 1894 ई तक)
इसके समय में भारत और अफगानिस्तान के मध्य सीमा रेखा (डूरंड रेखा) का निर्धारण हुआ
1891 ई का एज आफ कंसेंट एक्ट पारित हुआ, जिसमें लड़कियों के विवाह की आयु को 12 वर्ष कर दिया गया
लॉर्ड कर्जन (1899 से 1905 ई तक)
कर्जन ने 1904 ईस्वी में ऐतिहासिक इमारत की सुरक्षा एवं मरम्मत के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की स्थापना की
कर्जन के समय में 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल का विभाजन प्रभावित हुआ, जिसे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया
कर्जन ने अपने पुस्तक- ‘द प्रॉब्लम ऑफ द फॉर ईस्ट’ लिखी
कर्जन की जीवनी रोनाल्डसे नामक विद्वान ने लिखी
रेलवे का सबसे अधिक विकास कर्जन के समय हुआ तथा सर्वाधिक लाइन बिछाई गई
कर्जन के काल में गठित आयोग
अकाल आयोग (1900)- सर एंटोनी मैकडॉनल
सिंचाई आयोग (1901)- सर कॉलिन स्कामोंन क्रीफ
रेलवे सुधार आयोग (1901)- टॉमस रॉबर्टसन
पुलिस आयोग (1902)- सर एंड्रयू फ्रेजर
विश्वविद्यालय आयोग (1902)- सर टॉमस रेले
लॉर्ड मिंटो द्वितीय (1905 से 1910 ई)
इसके समय (1907) में सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हुआ
1909 ईस्वी में मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम पारित किया गया, जिसके माध्यम से मुसलमान के लिए प्रथम निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था की गई
आगा खा द्वारा 1906 ईस्वी में मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में की गई
वायसराय के कार्यकारिणी में नियुक्त प्रथम भारतीय सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा थे
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (1910 से 1916 ई तक)
इसके समय में 12 दिसंबर 1911 को ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम का भारत आगमन हुआ
1911 ईस्वी में भारत की राजधानी कलकता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई एवं 1912 में दिल्ली को राजधानी बनाया गया
1914 ईस्वी में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हुई
मदन मोहन मालवीय ने 1915 ईस्वी में अखिल भारतीय हिंदू महासभा की स्थापना की
1916 ईस्वी में मदन मोहन मालवीय द्वारा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की गई
लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916 से 1921 ई तक )
1916 ईस्वी में पुना में प्रथम महिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई
इन्हीं के कार्यकाल में अप्रैल 1919 में रोलेट एक्ट लागू किया गया
1919 ईस्वी में मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम पारित हुआ, भारतीय विधान मंडल को बजट संबंधित अधिकार दिया गया
लॉर्ड रीडिंग (1921 से 1926 ई तक)
इसके समय 1922 ईस्वी में विश्व भारती विश्वविद्यालय ने कार्य करना आरंभ किया
मोपला विद्रोह- 1921 ई
लॉर्ड इरविन (1926 से 1931 ई तक)
इसके समय में देसी रियासतों के संबंध में 1927 ईस्वी में हार्टोग बटलर की अध्यक्षता में बटलर समिति का गठन किया गया
इसके समय में ही साइमन कमीशन का भारत आगमन हुआ
शारदा एक्ट 1929 में पारित हुआ, जिसमें लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 14 एवं लड़कों की 18 वर्ष कर दी गई
लॉर्ड विलिंगटन (1931 से 1936 ई तक)
इस समय में वर्ष 1935 का अधिनियम पारित किया गया, जिसके तहत बर्मा को भारत से अलग किया गया
लॉर्ड लिनलिथगो (1936 से 1944 ई तक)
इसके समय में द्वितीय विश्व युद्ध (1939 से 1945 ई) की शुरुआत हुई
1940 ई का अगस्त प्रस्ताव इसी के समय लाया गया (8 अगस्त 1940)
मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन का भारत आगमन
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 1942 में हुई थी
लॉर्ड वेवेल (1944 से 1947 ई तक)
इसके समय में राजनीतिक समाधान के लिए शिमला सम्मेलन (1945 ई) का आयोजन किया गया तथा कैबिनेट मिशन का भारत आगमन हुआ
लॉर्ड माउंटबेटन (1947 से 1948 ई)
ब्रिटिश भारत का अंतिम एवं स्वतंत्र भारत का प्रथम वायसराय था
इसके शासनकाल में ही भारत स्वतंत्र हुआ एवं भारत और पाकिस्तान नामक दो स्वतंत्र राष्ट्रों की घोषणा की गई
भारत-पाकिस्तान विभाजन हेतु रेडक्लिफ आयोग का गठन किया गया
स्वतंत्र भारत के प्रथम एवं अंतिम भारतीय वायसराय चक्रवर्ती राजगोपालाचारी थे
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