Indian Polity (भारतीय राजव्यवस्था): भारतीय राजव्यवस्था के संबंध में विभिन्न जानकारी अपडेट की जाती है। इसमें भारतीय राजव्यवस्था से संबंधित नोट्स, शॉर्ट नोट्स और मैपिंग के द्वारा विस्तृत अध्ययन करवाया जाता है। क्वीज टेस्ट के माध्यम से अपनी तैयारी पर रखने का बेहतरीन अवसर। आज ही अपनी तैयारी को दमदार बनाने के लिए पढ़िए भारतीय राजव्यवस्था।
राज्य के नीति निदेशक तत्व
- इनका उल्लेख संविधान के भाग 4, अनुच्छेद 36 से 51 में किया गया है।
- भाग 4 को ‘सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र’ का प्रतीक कहा गया है
- भाग 4 को ‘प्रशासको के लिए आचार संहिता’ भी कहा गया है
- चंपाकम दोराई बनाम मद्रास राज्य (1950) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने नीति निदेशक तत्वों की तुलना में मूल अधिकारों को प्राथमिकता दी है
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मूल अधिकारों व नीति निदेशक तत्वों को एक दूसरे के पूरक बतलाया
अनुच्छेद 36
- इसमें राज्य शब्द को परिभाषित किया गया है
अनुच्छेद 37
- इसके अंतर्गत कहा गया है कि नीति निदेशक तत्व वाद योग्य नहीं है, लेकिन राज्य नीतियां बनाते समय इन तत्वों को ध्यान में रखेगा
अनुच्छेद 38
- राज्य इस प्रकार की व्यवस्था की स्थापना करेगा, जिसमें सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय की प्राप्ति हो सके तथा लोक कल्याण की स्थापना हो सके
*- अनुच्छेद 38 में यह पर उल्लेखित है कि राज्य, आय, सुविधा, तथा अवसरों की असमानता को समाप्त करेगा
अनुच्छेद 39
इसमें निम्नलिखित बातों का उल्लेख है
a. सभी स्त्रियों व पुरुषों को आजीविका प्राप्त करने का समान अवसर होगा
b. राज्य प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन इस प्रकार से करेगा की जिससे अधिकतम लोगों का हित है
c. राज्य आर्थिक संसाधनों के केंद्रीयकरण पर रोक लगाएगा
d. सभी स्त्रियों एवं पुरुषों को समान कार्य के लिए समान वेतन प्राप्त होगा
e. राज्य सभी स्त्रियों व पुरुषों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखेगा और उन्हें इस काम नहीं करने देगा जो उनकी आयु के विरुद्ध हो
f. राज्य बच्चों को स्वस्थ एवं गरिमा युक्त वातावरण उपलब्ध करवाएगा
अनुच्छेद 39 A
- राज्य सभी व्यक्तियों को नि:शुल्क न्याय व विधिक सहायता उपलब्ध करवाएगा
- *इसे 42वै संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1976 में जोड़ा गया
- वर्ष 1987 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम बनाया गया
- 9th नवंबर – विधिक सेवा दिवस
अनुच्छेद 40
- राज्य ग्राम पंचायतो का गठन करेगा
अनुच्छेद 40 गांधी जी के "ग्राम स्वराज" की अवधारणा से संबंधित है
अनुच्छेद 41
- राज्य आर्थिक क्षमताओ तथा विकास की सीमाओं के भीतर रहते हुए सभी लोगों को शिक्षा, काम तथा लोक सहायता उपलब्ध करवाएगा
- राज्य बेकारी, बीमारो बुजुर्गों तथा नि:शक्तो को लोक सहायता उपलब्ध करवाएगा
अनुच्छेद 42
- राज्य सभी व्यक्तियों को कार्य की मानवोचित और न्याय संगत दशाएं उपलब्ध करवाएगा तथा प्रसूति सहायता उपलब्ध करवाएगा
अनुच्छेद 43
- इस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य सभी व्यक्तियों को निर्वाह योग्य वेतन उपलब्ध करवाएगा (न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948)
अनुच्छेद 43A
- 42 में संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1976 में जोड़ा गया। इसके अंतर्गत राज्य उद्योगों में प्रबंधन में भागीदारीता को सुनिश्चित किया गया
- भारत में TRADE UNION का आधार अनुच्छेद 43A है
अनुच्छेद 43B
- राज्य सहकारी संस्थाओं की स्थापना को बढ़ावा देगा
अनुच्छेद 44
- राज्य सभी लोगों के लिए समान नागरिक संहिता की स्थापना करेगा
- इसका अर्थ यह है कि सभी नागरिको के लिए विवाह, तलाक, गोद तथा उत्तराधिकार के नियम एक जैसे होंगे
अनुच्छेद 45
- राज्य 6 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों के लिए पूर्व प्राथमिक शिक्षा तथा उनकी बाल्यावस्था की देखभाल की व्यवस्था करेगा
अनुच्छेद 46
- राज्य समाज के दुर्बल वर्गों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करेगा
अनुच्छेद 47
- राज्य सभी व्यक्तियों के लिए पोषण युक्त भोजन की व्यवस्था करेगा तथा ऐसी दवा पर रोक लगाएगा जो व्यक्ति के जीवन के लिए खतरनाक है
- मादक पदार्थों के सेवन पर भी रोक लगाएगा
अनुच्छेद 48
- राज्य कृषि एवं पशुपालन का आधुनिक एवं वैज्ञानिक ढंग से संचालन करेगा एवं गाय, बछड़ों तथा अन्य दूध देने वाले तथा भार ढोने वाले पशुओं के नस्ल सुधारने और उनके वध को रोकने का प्रयत्न करेगा
अनुच्छेद 48A
- राज्य पर्यावरण का संरक्षण करेगा तथा वन एवं वन्य जीवों की रक्षा करेगा (वन एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972)
- 42वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 में जोड़ा गया
अनुच्छेद 49
- राज्य राष्ट्रीय स्मारकों तथा राष्ट्रीय महत्व के स्थान को संरक्षण प्रदान करेगा
अनुच्छेद 50
- राज्य कार्यपालिका और न्यायपालिका को अलग-अलग करेगा
अनुच्छेद 51
अनुच्छेद में निम्नलिखित बातें सम्मिलित है-
- भारत अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देगा
- सभी राष्ट्रो के मध्य न्याय संगत और सम्मानजनक व्यवहार को बढ़ावा देगा
- सभी राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौता के पालना करें, इस बात को बढ़ावा देगा
- अंतर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान मध्यस्थता से हो, इस बात को बढ़ावा देगा
** अनुच्छेद 51 भारत की विदेश नीति का संवैधानिक आधार है
नीति निदेशक तत्वों से संबंधित महत्वपूर्ण कथन
प्रो K.T. शाह – नीति निदेशक तत्व एक ऐसा चेक है जिसका भुगतान बैंक की इच्छा पर निर्भर है
सर आयवर जेनिंग्स – इन्होंने नीति निदेशक तत्वों को पुण्य आत्माओं की महत्वाकांक्षा की संज्ञा दी
ग्रेनविल ऑस्टिन – इसके अनुसार नीति निदेशक तत्व सामाजिक क्रांति के प्रति कहे जाते हैं
K.C. व्हीयरे – उनके अनुसार नीति निदेशक तत्व व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका के बीच टकराव के कारण बनेंगे जिस संविधान कमजोर होगा
मूल कर्तव्य
- इनका उल्लेख भाग 4 A के अनुच्छेद 51A में है
- मूल संविधान में इनका उल्लेख नहीं था
- सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर 42वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1976 में इन्हें जोड़ा गया
- उस समय इनकी संख्या 10 थी
- 86 वे संविधान संशोधन के द्वारा वर्ष 2002 में 11वां मूल कर्तव्य जोड़ा गया
- उनकी अवधारणा सोवियत संघ रूस से ली गई
11 मूल कर्तव्य निम्नलिखित है-
- सभी नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे संविधान का पालन करें तथा उनके आदर्शों, संस्थाओं राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय गान का सम्मान करें
- स्वतंत्रता को प्रेरित करने वाले आदर्श को हृदय में संजोए रखें
- देश की एकता, अखंडता व संप्रभुता की रक्षा करें
- देश की रक्षा करें और आवाहन किया जाने पर राष्ट्र की सेवा करें
- देश में समरसत्ता तथा समान बंधुत्व की भावनाओं को बनाए रखें तथा ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो
- देश की सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा को समझें और इसे बनाए रखें
- प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण करें तथा वन, वन्य जीव, नदियों तथा झींलों की रक्षा करें
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद, और सुधार की भावना का विकास करें
- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करें और हिंसा नहीं करें
- सभी अपने व्यक्तिगत एवं सामूहिक प्रयासों से उत्कर्ष की ओर बढे
- सभी माता-पिता और अभिभावकों का यह कर्तव्य है की वह अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाए
- मूल कर्तव्य का पालन नहीं करने पर किसी भी प्रकार की कोई सजा का प्रावधान नहीं है
मूल कर्तव्यों में ‘राष्ट्रगीत’ नामक शब्द का उल्लेख नहीं है
संघीय कार्यपालिका
भारत में संसदीय व्यवस्था की स्थापना की गई है, जिसमें राष्ट्रपति कार्यपालिका का औपचारिक एवं संवैधानिक प्रधान होता है
अनुच्छेद 52
- भारत का एक राष्ट्रपति होगा
योग्यताएं-
- वह भारत का नागरिक हो
- उसकी न्यूनतम आयु 35 वर्ष हो
- वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो
- किसी लाभ के पद पर ना हो
*अनुच्छेद 58 में इन योग्यताओं का उल्लेख किया गया है
- अनुच्छेद 58 में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल तथा केंद्र या राज्य का मंत्री लाभ के पद के दायरे में नहीं आते
अनुच्छेद 71
- राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवादों की सुनवाई केवल व केवल सर्वोच्च न्यायालय करेगा, उसके द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम निर्णय होगा
- चुनाव अवैध घोषित होने पर भी उस दौरान राष्ट्रपति द्वारा किए गए कार्य वेध होंगे
राष्ट्रपति का निर्वाचनमंडल
अनुच्छेद 54
अनुच्छेद 54 में राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल का उल्लेख है जो निम्नलिखित है-
- संसद के सभी निर्वाचित सदस्य
- राज्यों के विधानसभाओं के लिए निर्वाचित सदस्य
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा संघ शासित क्षेत्र पुडुचेरी विधानसभा के निर्वाचित सदस्य (70वे संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1992 में इसे जोड़ा गया)
राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधि
- भारत का राष्ट्रपति जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है
अनुच्छेद 55
- इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधियो का उल्लेख है
- राष्ट्रपति का चुनाव एकल संक्रमणीय आनुपातिक गुप्त मतदान प्रणाली से होता है
- उम्मीदवार हेतु 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक होते हैं
मतदाता वरीयता क्रम में मत देता है, विजय होने वाले उम्मीदवार को निश्चित अनुपात में मत प्राप्त करने होते हैं
जमानत राशि
- 15,000 रुपए जो कि कुछ वेध मतों का 1/6 प्राप्त नहीं होने पर जबप्त हो जाती है
- न्यूनतम कोटा= (दिए गए मतों की संख्या/ निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या+1)*+1
- प्रत्येक मतदाता के मत का मूल्य निकाला जाता है
(विधायक के मत का मूल्य= राज्य की कुल जनसंख्या/ राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या)/1000
जनसंख्या का आधार वर्ष 1971 है
84वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2001 में यह प्रावधान किया गया कि वर्ष 2026 तक जनसंख्या का आधार यही रहेगा
सांसद मत का मूल्य= सभी राज्यों और दिल्ली, पुडुचेरी के विधायकों के मतो के मूल्यों का योग/ संसद की निर्वाचित सदस्य संख्या
राष्ट्रपति की शपथ
अनुच्छेद 60
- इसमें राष्ट्रपति की शपथ का उल्लेख है
- राष्ट्रपति हमेशा संविधान के रक्षा तथा लोगों के कल्याण की शपथ लेता है
- इसमें यह स्पष्ट उल्लेखित है की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनके अनुपस्थिति में कोई भी वरिष्ठ न्यायाधीश उन्हें शपथ दिलाता है
राष्ट्रपति के वेतन
- राष्ट्रपति का मासिक वेतन वर्तमान में 5 लाख रुपए है
- उन्हें आजीवन फ्री मेडिकल, आवास और इलाज की सुविधा सहित अन्य भत्ते मिलते हैं
- राष्ट्रपति का वेतन आयकर से मुक्त होता है
- राष्ट्रपति को अवकाश ग्रहण करने के बाद पेंशन के रूप में 1.5 लाख रुपए प्रति माह मिलता है
राष्ट्रपति का कार्यकाल
अनुच्छेद 56
- इसके तहत राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है
- राष्ट्रपति अपना इस्तीफा उपराष्ट्रपति को देता है, जिसकी सूचना सबसे पहले उपराष्ट्रपति के द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को दी जाती है
राष्ट्रपति को विशेषाधिकार
अनुच्छेद 361
- इसके तहत पद पर रहते हुए राष्ट्रपति के विरुद्ध कोई भी न्यायालय गिरफ्तारी का आदेश नहीं निकाल सकता है
- उन पद पर रहते हुए फौजदारी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता
- दीवानी मामलों में दो महीने पूर्व सूचना पर कार्रवाई की जा सकती है
- अनुच्छेद 57 के तहत कोई भी व्यक्ति कितनी भी बार राष्ट्रपति बन सकता है
राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग
अनुच्छेद 61 इसमें राष्ट्रपति को उसके कार्यकाल से पूर्व हटाए जाने वाली महाभियोग की प्रक्रिया का उल्लेख है
- केवल संविधान के उल्लंघन के आरोप में ही यह प्रस्ताव लाया जा सकता है
- महाभियोग प्रस्ताव किसी भी सदन में लाया जा सकता है
- प्रस्ताव लाने हेतु सदन की कुल सदस्य संख्या का 1/4 सदस्यों का समर्थन होना आवश्यक है
- प्रस्ताव पर चर्चा से 14 दिन पहले राष्ट्रपति को इसकी पूर्व सूचना देनी होती है
- राष्ट्रपति अपना पक्ष रख सकते हैं
- यदि कोई सदन अपनी कुल संख्या के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दे और दूसरा सदन भी इस प्रक्रिया से प्रस्ताव को स्वीकार कर ले तो राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ता है
- महाभियोग प्रक्रिया अर्धन्यायिक है
- महाभियोग प्रक्रिया में संसद के मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं
- इस प्रक्रिया में राज्य विधान मंडल के विधानसभा सदस्यों की कोई भूमिका नहीं होती है
- राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाने पर 6 माह में चुनाव करवाना संवैधानिक बाध्यता है
- राष्ट्रपति का चुनाव हमेशा पूरे 5 वर्षों के लिए करवाया जाता है
राष्ट्रपति की शक्तियां
राष्ट्रपति की शक्तियों को दो भागों में बांटा जा सकता है-
A. सामान्यकालीन शक्तियां
- कार्यपालिका शक्तियां
- विधायी शक्तियां
- वित्तीय शक्तियां
- न्यायिक शक्तियां
B. आपातकालीन शक्तियां
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (अनुच्छेद 356)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
सामान्यकालीन शक्तियां
I. कार्यपालिका शक्तियां
अनुच्छेद 77
इसमें उल्लेखित है कि सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम करवाए जाएंगे
- राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है
- प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है तथा उन्हें शपथ दिलाता है
- राष्ट्रपति कार्य आवंटन के नियम बनाता हैं
अनुच्छेद 78
इसमें यह उल्लेखित है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से देश के प्रशासन तथा विधि निर्माण के संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर सकता है
अनुच्छेद 53
- इसमें यह उल्लेखित है कि केंद्र की कार्यपालिका संबंधित शक्तियां राष्ट्रपति के पास होगी जिसका उपयोग वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों के सहयोग से करेगा
- राष्ट्रपति महान्यायवादी, विदेश में राजदूत और राज्यों के राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश, संघ लोक सेवा आयोग, निर्वाचन आयोग, वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति करता है
II. व्यवस्थापिका संबंधित शक्तियां
राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है इसे निम्नलिखित विधायी शक्तियां प्राप्त है-
- संसद के सत्र आहुत करने, 17 सत्रावसान करने तथा लोकसभा भंग करने का अधिकार है
- प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारंभ में संसद में अभिभाषण की शक्ति
- द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के पश्चात ही कानून बनता है
- दोनों सदनों की संयुक्त बैठक राष्ट्रपति के अनुच्छेद 108 के तहत बुलाता है
अनुच्छेद 123
- इसके तहत राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है
III. न्यायिक शक्तियां
अनुच्छेद 72
इसके तहत राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति की सजा का-
a. लघुकरण
b. परिहार
c. विलंब कर सकते हैं
अनुच्छेद 143
- प्रेसिडेंशियल रेफरेंस (राष्ट्रपति किसी भी विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकते हैं)
IV. वित्तीय शक्तियां
अनुच्छेद 109
- धन विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही लोकसभा में रखा जाता है
अनुच्छेद 112
- इसके अंतर्गत राष्ट्रपति संसद के समक्ष वार्षिक आय व्यय (बजट) प्रस्तुत करवाता है
अनुच्छेद 117
- वित्त से संबंधित कोई विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के बिना संसद में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है
B. आपातकालीन शक्तियां
I. राष्ट्रीय आपातकाल
अनुच्छेद 352
- इसमें यह उल्लेखित है कि निम्नलिखित तीन परिस्थितियों की केवल संभावना होने पर भी राष्ट्रीय आपात लगाया जा सकता है-
A. बाह्य आक्रमण
B. भारत द्वारा किसी युद्ध में शामिल होने पर
C. आंतरिक अशांति
- 44वे संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1978 में ‘आंतरिक अशांति’ के स्थान पर ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द लिखा गया
अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपात लगाया जा चुका है
- वर्ष 1962 – चीनी युद्ध
- वर्ष 1971 – पाकिस्तान आक्रमण
- वर्ष 1975 – आंतरिक असंतोष
26 जून को काला दिवस के रूप में मनाया जाता है
II. राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता
अनुच्छेद 356
- इस अनुच्छेद के तहत यदि किसी राज्य का संवैधानिक तंत्र सफल हो जाए तो उस राज्य सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है
- राजस्थान में अब तक चार बार (1967, 1977, 1980, 1992) राष्ट्रपति शासन लग चुका है
III. वित्तीय आपातकाल
अनुच्छेद 360
- देश में आर्थिक संकट आ जाने पर राष्ट्रपति द्वारा वित्तीय आपातकाल लगाया जा सकता है
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन कम किया जा सकता है
- राज्य सरकारों के बजट केंद्र सरकार की अनुमति से लागू होता है
राष्ट्रपति की वीटो शक्तियां
राष्ट्रपति को तीन प्रकार के वीटो शक्तियां प्राप्त है, जो निम्नलिखित है-
- पूर्ण वीटो – किसी विधेयक पर स्वीकृति देने से इनकार करना
- निलंबित वीटो – विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाना
- पॉकेट वीटो – विधेयक को अनिश्चितकाल के लिए लंबित रखना
- पॉकेट वीटो का प्रयोग ‘ज्ञानी जैल सिंह’ वर्ष 1986 में ‘भारतीय डाक विधेयक’ के संदर्भ में किया
राष्ट्रपति से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- प्रथम राष्ट्रपति- डॉ राजेंद्र प्रसाद
- प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति- डॉ जाकिर हुसैन
- प्रथम कार्यवाहक राष्ट्रपति- वी.वी. गिरी
- प्रथम महिला राष्ट्रपति- प्रतिभा देवी सिंह पाटिल
- भारत के प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति- द्रौपदी मुर्मू (स्वतंत्रता के बाद जन्म [ 20 जून 1958] लेने वाले भारत की पहली महिला राष्ट्रपति)
- एकमात्र न्यायाधीश जो कार्यवाहक राष्ट्रपति बने- एम. हिदायतुल्ला
भारत के राष्ट्रपति
- पहले राष्ट्रपति- डॉ राजेंद्र प्रसाद (1950 से 1962 – दो बार)
- पहले उपराष्ट्रपति जो राष्ट्रपति बने- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954 में भारत रत्न से सम्मानित)
- पहले राष्ट्रपति – कार्यकाल के दौरान मृत्यु- डॉ जाकिर हुसैन (1967 से 1969)
- वी.वी. गिरी – स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति – पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति – अंतरात्मा की आवाज पर मतदान
- एकमात्र निर्विरोध राष्ट्रपति- नीलम संजीवन रेड्डी (1977 से 1982)
- पॉकेट वीटो का उपयोग करने वाले राष्ट्रपति- ज्ञानी जैल सिंह
- पहली महिला राष्ट्रपति- प्रतिभा पाटिल (2007 से 2012)
- रामनाथ कोविंद – 2017 से 2022 – भारत के 14 राष्ट्रपति- बिहार के राज्यपाल
- द्रौपदी मुर्मू- 25 जुलाई 2022 से वर्तमान में – देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति – देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति – झारखंड की पहली महिला राज्यपाल – मयूरभंज उड़ीसा से – स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाली एकमात्र राष्ट्रपति – संथाल जनजाति से संबंधित – जस्टिस एनवी रमन्ना ने शपथ दिलाई
मोहम्मद हिदायतुल्ला - एकमात्र व्यक्ति जो राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं मुख्य न्यायाधीश रहे (1969)
संघीय कार्यपालिका
उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 63
- भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा
योग्यताएं – अनुच्छेद 66 (3)
- भारत का नागरिक हो
- न्यूनतम आयु 35 वर्ष
- राज्यसभा सदस्य बनने की योग्यता
- लाभ के पद पर ना हो
निर्वाचक मंडल – अनुच्छेद 66
- इस चुनाव में संसद के सभी सदस्य भाग लेते हैं
- इस चुनाव में राज्य विधानसभा के सदस्य भाग नहीं लेते हैं
निर्वाचन विधि
- एकल संक्रमणीय आनुपातिक गुप्त मतदान प्रणाली
- प्रस्तावक-20, अनुमोदक-20
- जमानत राशि ₹15000, जो वेध मतों का1/6 भाग प्राप्त नहीं होने पर जप्त हो जाती है
शपथ- अनुच्छेद 69
- राष्ट्रपति या उसके प्रतिनिधि के द्वारा उपराष्ट्रपति को संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाई जाती है
- कार्यकाल- 5 वर्ष
- निर्धारित कार्यकाल से पूर्व पद रिक्त होने पर यथा शीघ्र चुनाव करवाए जाते हैं
उपराष्ट्रपति को हटाना
- उपराष्ट्रपति को हटाने हेतु प्रस्ताव राज्यसभा में लाया जाता है
- प्रस्ताव पर चर्चा से 14 दिन पहले सूचना देनी होगी
- राज्यसभा अपनी तात्कालिक सदस्य संख्या के बहुमत से प्रस्ताव पारित करें और लोकसभा इस प्रस्ताव से सहमत हो जाएं तो उपराष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ेगा
अनुच्छेद 64
इसके अंतर्गत उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है
अनुच्छेद 65
- राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर उपराष्ट्रपति, कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा
- भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति- डॉक्टर एस. राधाकृष्णन
- उपराष्ट्रपति को वर्तमान में चार लाख रुपए प्रति माह वेतन मिलता है
अनुच्छेद 63
- भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा
भारत के पहले उपराष्ट्रपति- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1952 से 1962 तक)
भारत के उपराष्ट्रपति
- हामिद अंसारी (2007 से 2017)
- वेंकैया नायडू (2017 से 2022)
- 14TH उपराष्ट्रपति – जगदीश धनखड़ – 11 अगस्त 2022 से – झुंझुनू – पश्चिम बंगाल के गवर्नर – मारग्रेट अल्वा को हराया – जगदीप धनखड़ 528 वोट से विजय हुए (74%) – मारग्रेट अल्वा को 182 वोट मिले
संघीय कार्यपालिका
मंत्री परिषद
अनुच्छेद 74
- राष्ट्रपति को सहायता देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा
अनुच्छेद 75
- राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा
- मंत्री हमेशा पद और गोपनीयता की शपथ लेते हैं
- मंत्री परिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के लिए उत्तरदाई होती है
- मंत्रिपरिषद में अधिकतम सदस्य संख्या लोकसभा के कुल सदस्य संख्या का 15% हो सकती है
मंत्री परिषद
- कैबिनेट मंत्री (विभाग का प्रमुख)
- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
- राज्य मंत्री
- उप मंत्री
संसदीय सचिव
संसद का सदस्य, इसका कार्य मंत्रियों की सहायता करना
भारत के प्रधानमंत्री
पंडित जवाहरलाल नेहरू
- सबसे लंबा कार्यकाल (16 वर्ष 9 माह और 12 दिन)
- पंचशील समझौता – 1954
- पहले उप प्रधानमंत्री- सरदार पटेल
लाल बहादुर शास्त्री
- कार्यकाल- 1964 से 1968 तक
- जय जवान जय किसान का नारा दिया
- ताशकंद समझौता- 1966
श्रीमती इंदिरा गांधी
- कार्यकाल- 1966-67, 1980-84
- बांग्लादेश- स्वतंत्रता- 1971
- 42 वां संविधान संशोधन- 1976
- सिक्किम 22वा राज्य बना – 1975
मोरारजी देसाई
- कार्यकाल 1977 से 1979 तक
- उप प्रधानमंत्री
- 44 व संविधान संशोधन, 1978 – 300A
- प्रधानमंत्री के पद से त्यागपत्र देने वाले पहले प्रधानमंत्री
- सबसे बुजुर्ग प्रधानमंत्री
राजीव गांधी
- कार्यकाल- 1984 से 1989 तक
- सबसे युवा प्रधानमंत्री
- 52वा संविधान संशोधन – 1985
- 61वा संविधान संशोधन – 1989
विश्वनाथ प्रताप सिंह (V.P. सिंह )
- कार्यकाल – 1989 से 1990 तक
- मंडल आयोग- सिफारिश लागू की
- अविश्वास प्रस्ताव से हटाए जाने वाले पहले प्रधानमंत्री
P.V नरसिम्हा राव
- कार्यकाल- 1991 से 1996
- 73वां संविधान संशोधन, 1992
- 74वां संविधान संशोधन, 1992
- एलपीजी- उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण
अटल बिहारी वाजपेई
- तीन बार प्रधानमंत्री
- 6 अप्रैल 1980- बीजेपी की स्थापना
- मेरी 51 कविताएं
- 2015 में भारत रत्न
- 86वां संविधान संशोधन, 2002
- सबसे छोटा कार्यकाल (13 दिन)
इंद्र कुमार गुजराल
- कार्यकाल- 1997 से 1998 तक
- गुजराल सिद्धांत
डॉ मनमोहन सिंह
- कार्यकाल- 2004 से 2014 तक
- वित्त मंत्री- 1991
- चेंजिंग इंडिया बुक
नरेंद्र मोदी
- 26 मई 2014 से लगातार
- 15वें प्रधानमंत्री
- एक्साम वॉरियर्स
- ज्योतिपुंज
- सम्मान
उप प्रधानमंत्री
- सरदार पटेल
- मोरारजी देसाई
- चौधरी चरण सिंह
- चौधरी चरण सिंह+ जगजीवनराम
- यशवंत राव
- चौधरी देवीलाल
- लाल कृष्ण आडवाणी
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