जलवायु और राजस्थान का अपवाह तंत्र | Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल)

Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल): ऐतिहासिक घटनाक्रम, भौतिक विभाग, राजस्थान की मिट्टिया, जलवायु एवं ऋतुए, प्राकृतिक वनस्पति, अपवाह तंत्र, खारे पानी की झीले, मीठे पानी की झीले, बांध और परियोजनाएं, कृषि और उद्यानिकी, पशुधन, जनसँख्या और साक्षरता, शिक्षा और शिक्षण संस्थान, चिकित्सा, उद्योग, खनिज, ऊर्जा, प्राकृतिक तेल और गैस , सहकारी तंत्र, खेलकूद, पर्यटन, परिवहन, राष्ट्रीय पार्क और अभ्यारण, ऐतिहासिक परिद्रस्य , किले, राजस्थान की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक स्थिति, प्रदेश की बोलिया, स्वतंत्रता संग्राम, एकीकरण, राजस्थान के  किसान आंदोलन, स्वतन्त्रा सेनानी, वैज्ञानिक शोध, जातिया और जनजातिया, जन जीवन, राजस्थानी कहावतें, संत सम्प्रयदाय, लोक देवता, लोकदेविया, धार्मिक स्थल, चित्रकला, मेले और त्योहार, रीतिरिवाज़ , लोक प्रथाएं, खान पान, वेशभूषा और आभूषण , हस्त कला, लोकनाट्य, लोक वाद्य यन्त्र, जिला प्रशासन , वैधानिक संस्थाए, पंचायती राज, पप्रमुख योजनाए और कार्यक्रम, विविध   

जलवायु और राजस्थान का अपवाह तंत्र

जलवायु और राजस्थान का अपवाह तंत्र
जलवायु और राजस्थान का अपवाह तंत्र

जलवायु और राजस्थान का अपवाह तंत्र

जलवायु

  • किसी स्थान विशेष की दीर्घकालीन हवा की अवस्था, जलवायु कहलाती है।

मौसम

  • क्षणिक वायु अथवा अल्पकालिक वायु की अवस्था मौसम कहलाती है।
  • मानसून शब्द अरबी भाषा के मौसिम शब्द से बना है
  • मौसिम शब्द का शाब्दिक अर्थ “पवन” है।
  • मौसम अर्थात “पवन की दिशा अथवा दशा”

राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक

  1. अक्षांशीय स्थिति (इसके अनुसार जलवायु उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु के अंतर्गत आती है।)
  2. अरावली की स्थिति (पूर्व तथा पश्चिम में 50-50 वर्षा वितरण।)
  3. थार का मरुस्थल
  4. महाद्वीपीयता (समुद्र से दूरी अधिक)
  5. समुद्र तल से ऊंचाई (समुद्र तल से ऊंचाई अधिक)
  6. पछुआ पवने
  7. महासागरीय धाराएं

जलवायु के आधार पर राजस्थान के प्रमुख ऋतु

ग्रीष्म ऋतु

  • मार्च से मध्य जून तक
  • सर्वाधिक गर्म महीना – जून
  • सर्वाधिक गर्म स्थान – फलोदी (वर्तमान में जिला)
  • सर्वाधिक गर्म जिला – चूरू
‘लु’
  • गर्म एवं शुष्क हवा।
  • स्थानीय पवनों के नाम से प्रसिद्ध।

शीत ऋतु

  • मध्य नवंबर से फरवरी
  • सर्वाधिक ठंडा महीना – जनवरी
  • सर्वाधिक ठंडा स्थान – माउंट आबू
  • सर्वाधिक ठंडा जिला – चूरू
मावट
  • शीत ऋतु में होने वाले वर्षा।
  • पश्चिमी विक्षोभ के कारण आती है
  • भूमध्य सागर से आती है।
  • रबी (गेहूं) की फसल के लिए अच्छी होती है।

वर्षा ऋतु

  • मध्य जून से सितंबर तक
  • सर्वाधिक वर्षा – अगस्त माह में।
  • सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान – माउंट आबू
  • सर्वाधिक वर्षा वाला जिला – झालावाड़
  • पुरवइया चलती है।

भारत में मानसून का आगमन

दक्षिण पश्चिम मानसून की शाखाएं

  1. अरब सागरीय शाखा
  2. बंगाल की खाड़ी शाखा
  • दक्षिण पश्चिम मानसून सबसे पहले भारत देश के केरल राज्य में आता है।
  • केरल के पश्चात पश्चिमी घाट व नीलगिरी के पहाड़ियों से टकराता हुआ महाराष्ट्र में प्रवेश करता है।
  • इसकी ii शाखा मध्य भारत में जाकर सतपुड़ा तथा विंध्यन की पहाड़ियों के मध्य बारिश करती है।
  • इसकी iii शाखा राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में प्रवेश करती है (दक्षिणी राजस्थान में प्रवेश)
बांसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, सिरोही में बारिश करती है तथा अरावली के समानांतर राजस्थान को पार कर जाती है।
  • पश्चिमी राजस्थान में अरब सागरीय मानसून से बारिश नहीं होती है।

बंगाल की खाड़ी वाला मानसून

  • भारत के पूर्व पश्चिम में स्थित छोटा नागपुर से प्रवेश।
  • छोटा नागपुर से प्रवेश करते हुए विंध्य पर्वत के सहारे विंध्य कगार क्षेत्र समाप्ति पर वर्षा करता है।

पुरवइया

  • बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाएं।

राजस्थान में मानसून का आगमन

  • राजस्थान में सबसे पहले अब सागरीय मानसून आता है।
  • बांसवाड़ा से प्रवेश। (मानसून का प्रवेश द्वार – बांसवाड़ा)
  • उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, सिरोही में पर्वतों से टकराता हुआ बारिश करता है।
  • “अरब सागरीय मानसून” राजस्थान में प्रथम मानसून है।
  • अरब सागरीय मानसून की सर्वाधिक सक्रियता माउंट आबू, सिरोही में है।

अरब सागरीय मानसून पश्चिमी राजस्थान में वर्षा नहीं होने के कारण।

  1. अरावली का समानांतर होना
  2. महाद्वीपीयता
  3. पछुआ पवने
Q. अरावली की ऊंचाई हिमालय के बराबर करने पर हवा की स्थिति किस प्रकार होगी?
A.हवा ऊपर जाकर ठंडी होगी। बारिश के साथ राजस्थान की जलवायु अर्ध शुष्क हो जाएगी।

बंगाल की खाड़ी का मानसून

  • प्रवेश की दिशा – दक्षिण पूर्व
  • दिशा क्षेत्र – हाडोती का पठार
  • राजस्थान में प्रवेश – झालावाड़
Q. पश्चिमी राजस्थान में बंगाल की खाड़ी के मानसून के कारण वर्ष नहीं होती-
A. वृष्टि छाया प्रदेश (पवन विमुखी क्षेत्र)
  • जलवायु के आधार पर राजस्थान को पांच भागों में वर्गीकृत किया गया है।
  1. शुष्क प्रदेश (0 से 20 सेंटीमीटर)- जैसलमेर (मरुद्भिद वनस्पति पाई जाती है)
  2. अर्ध शुष्क (20 से 40 सेंटीमीटर)- जोधपुर (मानसूनी पतझड़ वन)
  3. उपआद्र (40 से 60 सेंटीमीटर)- जयपुर (मिश्रित मानसूनी वनस्पति)
  4. आद्र (60 से 80 सेंटीमीटर)- सवाई माधोपुर
  5. अतिआद्र (80 से 100 सेंटीमीटर)- झालावाड़
इस वर्गीकरण का मुख्य आधार वर्षा तापमान और आद्रता है।

कोपेनहेगन का वर्गीकरण

  • जर्मनी का भूगोलवेता।
  • व्लादिमीर कोपनहेगन इसका पूरा नाम था।
  • 1918 में इसने जलवायु को निम्न प्रकार से बांट दिया।
  1. उष्णकटिबंधीय आद्र
  2. उष्णकटिबंधीय शुष्क
  3. उपआद्र अथवा उपोष्ण
कोपेन का निम्न वर्गीकरण राजस्थान में उपलब्ध नहीं है।
  1. शीतोष्ण जलवायु
  2. ध्रुवीय जलवायु

राजस्थान का जलवायु वर्गीकरण

  1. bwhw (उष्णकटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु)
  • (h ब्ल्यू को हम बस हो सीडी सबसे बड़ा इंसान ए प्रदेश बीकानेर) औसत तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक
  • (w) शीत ऋतु शुष्क होती है
  • मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश शामिल।
  1. bshw (उष्णकटिबंधीय अर्ध शुष्क जलवायु प्रदेश)
  • शीत ऋतु शुष्क
  1. cwg (उपाद्र जलवायु प्रदेश)
  • (c) शीत ऋतु
  • (g) वर्षा ग्रीष्म ऋतु के बाद होती है।
  1. aw (उष्णकटिबंधीय आद्र जलवायु प्रदेश)
  • (a) उष्णकटिबंधीय आद्र
  • (w) शीत ऋतु
राजस्थान में जलवायु के आधार पर सबसे बड़ा भौतिक प्रदेश - cwg (उपाद्र जलवायु प्रदेश)

थानवेट का जलवायु प्रदेश

वर्गीकरण आधार

  • वनस्पति वर्षा वाष्पोत्सर्जन के आधार पर वर्गीकृत किया गया।
  • A’ – उच्च (राजस्थान में उपलब्ध)
  • B’ – मध्य (राजस्थान में उपलब्ध)
  • C’ – निम्न
  • D’ – ध्रुवीय
EA' d - जैसलमेर - उष्णकटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश।
DB'w - बीकानेर - मध्य तापीय आद्र शुष्क जलवायु प्रदेश
DA'w - अजमेर - उष्णकटिबंधीय आद्र शुष्क जलवायु प्रदेश
CA'w - डूंगरपुर - उष्णकटिबंधीय आद्र जलवायु प्रदेश

राजस्थान का अपवाह तंत्र

  1. अरब सागरीय नदी तंत्र
  2. बंगाल की खाड़ी नदी तंत्र
  3. आंतरिक प्रवाह तंत्र

अरब सागरीय नदी तंत्र

  1. लूनी (लिलड़ी, मीठड़ी, बांडी, जोजरी, सुकड़ी, जंवाई, सागी।)
  2. पश्चिमी बनास (सिपु)
  3. साबरमती (हतमती, सई, वेतरक, वाकल, मानसी।)
  4. माही (सोम, जाखम, ऐराव, अनास, मोरेन, लाखन, चाप।)

बंगाल की खाड़ी नदी तंत्र

  1. चंबल (बनास, कुशल, काली सिंध, पार्वती, सीप, गंभीरी।)
  2. बाणगंगा
  3. गंभीरी
  4. पार्वती

आंतरिक प्रवाह तंत्र

  1. घग्गर,
  2. कांतली,
  3. काकनेय,
  4. रूपनगढ़,
  5. मंथा,
  6. खारी,
  7. खंडेला।

अरब सागरीय नदी तंत्र

1. लूनी नदी

  • उपनाम – आधी मीठी आधी खारी नदी, मारवाड़ की जीवन रेखा, मरुस्थल तथा लवणती की गंगा।
  • उद्गम स्थल – नाग पहाड़, आना सागर (अजमेर)
  • लंबाई – कुल लंबाई 350 किलोमीटर है।
बालोतरा तक इस नदी का जल मीठा होता है। इसके पश्चात इस नदी का जल खारा हो जाता है।
अरावली के पश्चिम में बहने वाली सबसे प्रमुख नदी।
पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी।

सहायक नदियां

जवाई नदी

  • उद्गम – बाली (पाली) के निकट गोरिया ग्राम से
  • समापन – बालोतरा में लूनी नदी में मिलती है।
  • इस नदी पर जवाई बांध (पाली) स्थित है।

सुकड़ी

  • अरावली से निकलते हुए पाली तथा जालौर जिलों में बहते हुए, समदड़ी बाड़मेर के पास लूनी नदी में मिलती है।

मीठड़ी

  • अरावली के पहाड़ियों (पाली) से निकलकर मंगला नामक स्थान के पास लूनी नदी में मिलती है।

लीलड़ी

  • अरावली के पहाड़ियों (पाली) से निकलकर निंबोल गांव के पास लूनी में मिलती है।

जोजड़ी

  • नागौर जिले के पोंडलु गांव के पहाड़ियों से निकलती है।
  • जोधपुर होते हुए बाड़मेर जिले के सिवाना नामक स्थान पर लूनी नदी में मिलती है।
  • पश्चिम दिशा से लूनी नदी में मिलने वाली एकमात्र सहायक नदी।
  • एकमात्र लूनी की सहायक नदी जो अरावली की पर्वतमाला से ‘नहीं’ निकलती है।

बांडी

  • पाली जिले निकलते हुए जोधपुर की सीमा पर लूनी नदी में मिलती है।

2. साबरमती नदी

  • उद्गम – उदयपुर जिले की कोटड़ी गांव की दक्षिणी पश्चिमी अरावली पहाड़ियों से।
  • समापन – खंभात की खाड़ी में
  • तथ्य- गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद नगर किसी नदी के तट पर बसे हुए हैं।
देवास सुरंग -
इसकी लंबाई 11.5 किलोमीटर है।
राजस्थान की सबसे बड़ी सुरंग
साबरमती नदी से उदयपुर के झीलों में पानी पहुंचाने के लिए निर्मित की गई।
  • सहायक नदियां- हतमती, सई, वेतरक, वाकल, मानसी, मेस्ता, जाजम।

3. माही नदी

  • उद्गम स्थल – मेहंद झील, विंध्याचल के पहाड़ियां (सरदारपुर के निकट) जिला – धार, मध्य प्रदेश।
  • राजस्थान में प्रवेश – खादू ग्राम, बांसवाड़ा
  • समापन- खंभात की खाड़ी
प्रमुख राज्य- राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात
उपनाम
  • बागड़ एवं कांठल की गंगा
  • दक्षिणी राजस्थान की स्वर्ण रेखा
  • उल्टे v आकार में बहने वाली नदी
  • आदिवासियों की गंगा
त्रिवेणी संगम
यह नदी डूंगरपुर जिले के बेणेश्वर नामक स्थान पर सोम और जाखम नदियों के साथ मिलकर त्रिवेणी संगम बनती है।
इस स्थान पर माघ पूर्णिमा को मेला लगता है। इसे आदिवासियों के कुंभ के नाम से जानते हैं।
  • कुल लंबाई – 576 किलोमीटर
  • राजस्थान में लंबाई- 171 किलोमीटर
  • छप्पन का मैदान किस नदी से ही निर्मित होता है।
  • यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।

सहायक नदियां

सोम

  • उद्गम – उदयपुर जिले की बिछामेडा की पहाड़ियां
  • समापन – डूंगरपुर में माही नदी में मिलती है।
  • सहायक नदियां – जाखम, गोमती, सारनी

जाखम

  • उद्गम – प्रतापगढ़ जिले में छोटी सादड़ी के निकट “भंवरमाता की पहाड़ियों” से निकलती है।
  • समापन – धरियावाद प्रतापगढ़ में सोम नदी में मिलती है।

4. पश्चिमी बनास

  1. उद्गम स्थल – संनवारा ग्राम की पहाड़ियां (अरावली पर्वतमाला), सिरोही
  2. समापन – कच्छ की खाड़ी
  3. सीपू – पश्चिमी बनास की सहायक नदी।

बंगाल की खाड़ी नदी तंत्र

1. चंबल नदी

  • उपनाम – चर्मणवती, कामधेनु, नित्यवाही।
  • उद्गम स्थल- जनापाव की पहाड़ी, विंध्याचल पर्वत (मानपुर के निकट), मध्य प्रदेश के महू के दक्षिण में स्थित।
  • प्रवेश – चित्तौड़गढ़ से चंबल नदी राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • समापन – आगरा, उत्तर प्रदेश के इटावा के निकट मुरादगंज स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है।
  • लंबाई
  • कुल लंबाई – 966 किलोमीटर
  • राजस्थान में लंबाई- 135 किलोमीटर
  • राजस्थान राज्य में बहने वाली सबसे लंबी नदी।
  • राजस्थान के साथ सबसे अधिक अंतर्राज्यीय सीमा बनाती है।
भैंसरोडगढ़
इसके समीप स्थान पर यह नदी चूलिया जलप्रपात बनाती है।
इस जलप्रपात की ऊंचाई 18 मीटर है।
रामेश्वरम (सवाई माधोपुर)
इस स्थान पर चंबल नदी बाएं किनारे पर बनास तथा सीप नदी से मिलती है।
यह संगम त्रिवेणी संगम कहलाता है।
राजस्थान के बारहमासी नदी।
इससे सर्वाधिक अवनालिका अपरदन होता है।
  • इस नदी पर मध्य प्रदेश में गांधीसागर बांध, चित्तौड़गढ़ में राणा प्रताप सागर बांध, कोटा में जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज बांध स्थित है।
  • राजस्थान को सत्तही जल इस नदी से प्राप्त होता है।
  • क्षेत्र- यह नदी चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, बांरा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर इत्यादि में प्रवाहित होती है।

सहायक नदी

  • चंबल नदी सर्वाधिक सहायक नदियों वाली नदी है।
  • दक्षिण से उत्तर की दिशा में बहने वालीएकमात्र नदी।
  • सिवान, रेतम, शिप्रा मध्य प्रदेश से चंबल नदी में मिलती है।

गुजाली

  • मध्य प्रदेश के जाट गांव के पास से निकलती है
  • चित्तौड़गढ़ जिले के आरनिया गांव के पास चंबल में मिल जाती है।

बामनी

  • हरिपुरा गांव की पहाड़ियां, चित्तौड़गढ़ से निकलती है। भैंसरोडगढ़ के पास चंबल में मिल जाती है।

इज

  • भैंसरोडगढ़ से निकल कर चंबल में मिलती है।

मेज नदी

  • भीलवाड़ा जिले से उद्गम होकर बूंदी जिले में बहती हुई सीनपुर के निकट चंबल में मिल जाती है।

मांगली

  • तालेरा, तहसील बूंदी की प्रमुख नदी।
  • मेज नदी की सहायक नदी।

कुनोर

  • गुना, मध्यप्रदेश से निकलकर मूसेरी गांव, बांरा के पास से राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • बांरा को पार करके पुनः मध्य प्रदेश में लौट जाती है।
  • करौली की सीमा पर चंबल में मिल जाती है।

चाकण

  • बूंदी जिले के छोटे-छोटे नालों से मिलकर बनी नदी।
  • करणपुरा गांव, सवाई माधोपुर में चंबल में मिलती है।
अन्य सहायक नदियां बनास, कालीसिंध, छोटी कालीसिंध, पार्वती, कुराल, परवन, निमाज।

2. बनास

  • उद्गम स्थल- खमनोर की पहाड़ियां, (अरावली पर्वतमाला) तहसील- कुंभलगढ़ जिला- राजसमंद
  • कुल लंबाई- 480 किलोमीटर
  • प्रमुख क्षेत्र- राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर
समापन- तहसील- खंडार, सवाई माधोपुर के रामेश्वरम नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है।
  • पूर्ण रूप से राजस्थान में बहने वाली राजस्थान की सबसे लंबी नदी।
  • टोंक जिले में बनास नदी सर्पाकार हो जाती है।
उपनाम
  1. वशिष्टी
  2. वन की आशा

त्रिवेणी संगम

बिगोद और मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) के बीच बनास, बेड़च और मेनाल नदियों का संगम होता है।

खारी

  • देवली, टोंक स्थान पर बनास नदी में खारी नदी मिलती है।

मेनाल

  • मांडलगढ़ की पहाड़ियां, जिला- भीलवाड़ा से निकलती है।

मासी

  • उद्गम- सिलोरा की पहाड़ियां, (किशनगढ़ के दक्षिण में स्थित) जिला- अजमेर

मोरेल

  • उद्गम- चाकसू जयपुर
  • जयपुर तथा सवाई माधोपुर की सीमा पर बहते हुए खंडार के पास बनास नदी में मिल जाती है।

ढूंढ

  • मोरेल की सहायक नदी।
  • जयपुर के अचरोल से निकलकर दोसा जिले के लालसोट के पास मोरेल नदी में मिलती है।
बीसलपुर बांध
बनास नदी पर टोंक जिले में टोडारायसिंह तहसील के बीसलपुर गांव में बीसलपुर बांध का निर्माण विग्रह राजचतुर्थ ने करवाया।
बीसलपुर बांध पेयजल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।

3. कोठारी नदी

  • उद्गम स्थल – दिवेर की पहाड़ियां, राजसमंद
  • समापन- भीलवाड़ा जिले में बनास नदी में मिल जाती है।
  • कोठारी नदी पर मेजा बांध बनाकर भीलवाड़ा जिले की पेयजल समस्या का समाधान किया गया।

4. बेड़च नदी

  • उद्गम स्थल- गोगुंदा की पहाड़ियां, उदयपुर
  • उद्गम स्थल से उदयसागर झील तक आयड़ के नाम से जानी जाती है।
  • उदयपुर शहर में यह उदयसागर झील में गिरती है।
  • उदयसागर से निकलने के बाद इसको बेडच नदी के नाम से जाना जाता है।
  • यह नदी भीलवाड़ा में बहने के बाद, मांडलगढ़ के निकट बीगोद स्थान पर बनास में मिल जाती है।
  • आहड़ सभ्यता बेड़च नदी के किनारे स्थित है।

5. काली सिंध नदी

  • उद्गम स्थल
  • बागली गांव, देवास जिला, मध्यप्रदेश
  • झालावाड़ जिले से राजस्थान में प्रवेश।
  • नोनेरा स्थान कोटा में चंबल नदी में मिल जाती है।
  • झालावाड़, कोटा तथा बांरा की सीमा बनाती है।

सहायक नदियां

आहू

  • उद्गम स्थल: जिला- शाजापुर, तहसील- मेहंदीपुर, मध्यप्रदेश
  • प्रवेश – झालावाड़ की पश्चिम दिशा से नंदपुर में प्रवेश करती है।
  • गागरोन के पास काली सिंध में मिल जाती है।
सामेला
आहू एवं कालीसिंध नदियों का संगम

रेवा नदी

  • तहसील- भानपुरा, जिला- मंदसौर, मध्य प्रदेश से निकलती है।
  • पंचपहाड़ तहसील से झालावाड़ जिले में प्रवेश करती है।
  • आहू नदी में मिल जाती है।

परवन नदी

  • अजनार और घोड़ापछाड़ नदियों की एक संयुक्त धारा
  • मध्यप्रदेश राज्य से निकलती है।
  • मनोहरथाना झालावाड़ से राजस्थान में प्रवेश।
  • कालीसिंध में मिलती है।

निवाज नदी

  • मध्यप्रदेश में उद्गम।
  • कोलू खेड़ी, झालावाड़ जिले में प्रवेश।
  • परवन नदी में मिल जाती है।

6. पार्वती नदी

  • उद्गम स्थल- मध्यप्रदेश के विंध्याचल पर्वतमाला की सिहोर की पहाड़ियों से
  • पार्वती बांध – धौलपुर में पार्वती नदी पर बना हुआ है।
  • करियाहट बांरा, राजस्थान में प्रवेश।
  • कोटा जिले में चंबल में मिलती है।

7. बाणगंगा

  • चंबल की रुण्डित नदी
  • कभी-कभी यमुना नदी तक पहुंचती ही नहीं है।
  • जयपुर दौसा भरतपुर में प्रवाहित होती है।

उपनाम- अर्जुन की गंगा, ताला नदी

उद्गम स्थल- विराट की पहाड़ियां, जयपुर

समापन
फतेहाबाद, आगरा स्थान पर यमुना नदी में मिलती है।
जमवारामगढ़, जयपुर स्थान पर रामगढ़ बांध बनाया गया।

8. मानसी नदी

  • उद्गम स्थल- बीजराल गांव की पहाड़ियों से, जिला- राजसमंद
  • शाहपुरा स्थान पर मानसी नदी, खारी नदी में मिलती है।
  • तहसील- मांडल, जिला- भीलवाड़ा से मानसी नदी निकलती है।
  • राजसमंद, भीलवाड़ा, शाहपुरा, अजमेर, टोंक जिले में प्रवाहित होती है।

9. गंभीरी नदी

  • निंबाहेड़ा चित्तौड़ में गंभीरी बांध का निर्माण किया गया।
  • चित्तौड़गढ़ में चटियावली नामक स्थान पर बेड़च नदी में मिलती है।

10. सोहदरा नदी

  • अजमेर (दक्षिणी हिस्से में स्थित अराय गांव की पहाड़ियां) से निकलती है।
  • दूदिया गांव, टोंक के पास मासी नदी में मिल जाती है।

11. कुनू नदी

  • उद्गम – गुना शहर, मध्य प्रदेश।

आंतरिक प्रवाह तंत्र

1. घग्गर नदी

  • राजस्थान में अंत प्रवाह की सबसे लंबी नदी।
  • यह नदी सरस्वती नदी के पेटे में बहती है।
  • सरस्वती का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, सरस्वती को पंजाब में चितांग के नाम से जानते हैं।
  • उफान के समय यह नदी तलवाड़ा, अनूपगढ़ और सूरतगढ़ से होते हुए भारत-पाकिस्तान करके फोर्ट अब्बास (पाकिस्तान) तक चली जाती है।
  • पाकिस्तान में घग्गर नदी को ‘हकरा’ नाम से जानते हैं।

उपनाम

  • प्राचीन सरस्वती नदी
  • दृषद्वती नदी
  • मृत नदी
  • नट नदी
  • सोत्तरा नदी
  • राजस्थान का शोक

उद्गम स्थल

  • कालका के समय हिमालय की शिवालिक पहाड़ियां। (शिमला,हिमाचल प्रदेश)
  • तलवाड़ा
  • यह नदी राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील के तलवाड़ा स्थान से राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • हनुमानगढ़ में स्थित भटनेर दुर्ग इसी नदी के किनारे पर स्थित है।
  • इस नदी को हनुमानगढ़ में पाट कहा गया है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख केंद्र इसी नदी के किनारे पर है।

2. काकनी नदी

उद्गम स्थल

  • कोठारी, जैसलमेर

उपनाम

  • मसूरदी
  • काकनेया
यह नदी जैसलमेर में बुझ झील का निर्माण करती है।

3. कांतली नदी

उद्गम स्थल

  • खंडेला की पहाड़ियां, सीकर
  • समापन – झुंझुनू चूरू सीमा पर।
  • कांतली नदी का बहाव क्षेत्र ‘तोरावाटी’ कहलाता है।

4. साबी नदी

  • उद्गम स्थल- जयपुर तथा सीकर की सीमा पर सेवर की पहाड़ियों से निकलकर अलवर जिले में प्रवाहित होती है।
  • गुड़गांव (हरियाणा) से थोड़ी दूर पटौदी के मैदान में विलीन हो जाती है।

5. मंथा नदी

  • उद्गम स्थल- मनोहरपुरा, जयपुर
  • समापन- सांभर झील में

6. रूपारेल नदी

  • उदयनाथ की पहाड़ियां, तहसील- थानागाजी जिला अलवर
  • सरिस्का क्षेत्र अलवर तथा अलवर के दक्षिण में बहती हुई भरतपुर जिले में गोपालगढ़ के निकट प्रवेश करती है।

विविध तथ्य

  • अरावली पर्वत के उत्तर पश्चिमी भाग में अधिकांश आंतरिक जल प्रवाह प्रणाली पाई जाती है
  • राज्य की दक्षिणी पश्चिमी नदियां अपना जल अरब सागर में ले जाती है
  • राज्य की दक्षिणी पूर्वी नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती है
  • कोटा संभाग में सर्वाधिक नदियां पाई जाती है

राज्य की प्रमुख नदियों की लंबाई

  • माही नदी – 576 किलोमीटर
  • चंबल नदी – 966 किलोमीटर
  • बनास नदी – 480 किलोमीटर
  • घग्गर नदी – 465 किलोमीटर
  • बाणगंगा नदी- 380 किलोमीटर
  • लूनी नदी – 350 किलोमीटर
  • काली सिंध नदी – 278 किलोमीटर
  • बेडच नदी – 190 किलोमीटर
  • कोठारी नदी – 145 किलोमीटर

प्रमुख त्रिवेणी संगम

  • बीगोद, भीलवाड़ा – बनास बेडच और मेनाल
  • राजमहल, टोंक – बनास डाई और खारी
  • रामेश्वर घाट, सवाई माधोपुर – बनास चंबल और सीप
  • बेणेश्वर, डूंगरपुर – सोम, माही और जाखम

जलप्रपात

  • भीमताल जलप्रपात – भीमताल, बूंदी (मांगल नदी)
  • मेंनाल जलप्रपात – मेनाल, डेंगू उपखंड
  • चूलिया जलप्रपात – भैंसरोडगढ़ (चंबल नदी)
  • अरणा जलप्रपात – जोधपुर
  • दमोह जलप्रपात – बांडी, धौलपुर

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