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Rajasthan History Revision set By Mahesh
प्रमुख राजवंश
- कच्छवाह राजवंश
- चौहान राजवंश
- गुहिल राजवंश
- सिसोदिया राजवंश
- राठौड़ राजवंश
- भाटी राजवंश
- जाट राजवंश
कच्छवाह राजवंश
प्रमुख शासक
- तेजकरण / दुल्हेराय
- कोकिल देव
- भारमल
- भगवत दास
- मान सिंह
- मिर्जा राजा जय सिंह
- सवाई जय सिंह
- ईश्वर सिंह
- प्रताप सिंह
- जगत सिंह
- रामसिंह
- माधो सिंह 2
- मान सिंह 2
प्रमुख तथ्य
- कच्छवाह राजवंश के वंशज खुद को कुश के वंशज मानते हैं।
- कच्छवाह राजवंश के वंशज को “रघुकुल तिलक” के नाम से भी जाना जाता है।
तेजकरण / दुल्हेराय
- तेजकरण कच्छवाह वंश का संस्थापक।
- तेजकरण ने 1137 में बड़ गुर्जरों को हराकर दौसा पर अधिकार किया और दौसा को अपनी राजधानी बनाया।
- तेजकरण ने “मांझी” को जीतकर इसका नाम “रामगढ़” कर दिया।
- तेजकरण ने यहां पर जमुवाय माता का मंदिर बनवाया।
- कच्छवाह वंश की कुलदेवी “जमुवाय माता” है।
- कच्छवाह वंश की आराध्य देवी “शीला माता” है।
रामदेव
- रामदेव ने कदमी महल का निर्माण करवाया।
पृथ्वीराज कच्छवाह
- पृथ्वीराज कच्छवाह ने आमेर को 12 भागों में बांट दिया।
भारमल
- भारमल आमेर का शासक था।
- भारमल के समय दिल्ली का शासक अकबर था।
- भारमल ने 1556 में अकबर से मुलाकात (मजनु खा की सहायता से) की।
- भारमल ने 1562 में अकबर की अधीनता स्वीकार की।
- सांभर नामक स्थान पर जोध बाई और अकबर का विवाह हुआ था।
- अकबर ने भारमल को 5000 के मनसबदारी प्रदान की।
- भारमल अकबर का प्रथम मनसबदार था।
- भारमल ने दौसा में लवाण कस्बा बसाया।
भगवंत दास
- महाराणा प्रताप को समझने के लिए गए।
- भगवंत दास की पुत्री मान बाई का विवाह सलीम से हुआ था।
मानसिंह
- मानसिंह ने 50 से 55 वर्ष तक अकबर की सेवा की।
- मानसिंह सर्वप्रथम अकबर के साथ रणथंभोर अभियान पर गया।
- अकबर मानसिंह को अपना पुत्र (फर्जन्द) मानता था।
- मानसिंह अकबर के दरबार के नवरत्नों में शामिल था।
- मानसिंह को काबुल का सूबेदार अकबर ने बनाया।
- काबुल से आते वक्त लाहौर से मानसिंह “ब्लू पॉटरी” कला लेकर आए।
- मानसिंह को बिहार का सूबेदार भी बनाया गया।
- मानसिंह का पहला राजतिलक “पटना” में हुआ।
- मानसिंह को बंगाल का सूबेदार भी बनाया गया, मानसिंह ने बंगाल को तीन भागों में विभाजित कर दिया।
- बंगाल के शासक केदार के पास शिला माता की मूर्ति थी।
- मानसिंह शिला माता की मूर्ति को अमर लेकर आ गया।
मिर्जा राजा जयसिंह
- मिर्जा राजा को औरंगजेब ने “बाबा” की उपाधि दी।
- इसने तीन ( जहांगीर, शाहजहा, औरंगजेब) मुगल बादशाहों की सेवा की।
- मिर्जा राजा जयसिंह को “मिर्जा राजा” की उपाधि शाहजहा ने दी।
- मिर्जा राजा जयसिंह के दरबार में बिहारी था।
- मिर्जा राजा जयसिंह ने बिहारी को काली पहाड़ी की जागीर दी।
- मिर्जा राजा जयसिंह के समय पुरंदर की संधि (22 जून 1668) हुई थी।
सवाई जयसिंह
- शासनकाल – 1621 से 1667 (लगभग 46 वर्ष)
- सवाई जयसिंह ने लगभग सात बादशाहों की सेवा की थी।
- सवाई जयसिंह को “सवाई” की उपाधि औरंगज़ेब ने दी।
- 1708 में देबारी समझौता हुआ था।
- 1727 (18 नवंबर) जयपुर की स्थापना की गई।
- सवाई जय सिंह के द्वारा जयपुर बसाया गया।
- पंडित जगन्नाथ के द्वारा जयपुर की नींव रखी गई।
- विद्याधर भट्टाचार्य जयपुर का वास्तुकार था।
- आधुनिक जयपुर का निर्माता मिर्जा स्माइल है।
- 1734 (17 जुलाई) हूरडा सम्मेलन का आयोजन हुआ।
- इस सम्मेलन में यह निश्चय किया गया कि हम बरसात के बाद कोटा के रामपुरा में मिलेंगे।
- सवाई जयसिंह वह अंतिम सम्राट था, जिसने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया।
- नाहरगढ़ दुर्ग (सुदर्शन दुर्ग) का निर्माण सवाई जय सिंह ने करवाया।
ईश्वर सिंह
- ईसर लाट (7 खंड युक्त) का निर्माण करवाया।
- ईसर लाट सरगासुली के नाम से प्रसिद्ध है।
- ईश्वर सिंह ने ईसर लाट से कूद कर आत्महत्या कर ली।
- ईश्वर सिंह का दाह संस्कार (अन्य का गेटोर में करते है।) यहीं पर किया गया।
प्रताप सिंह
- प्रताप सिंह के शासन में तमाशा लोक नाट्य प्रारंभ हुआ।
- इन्होंने पांच मंजिला हवा महल का निर्माण करवाया।
- हवामहल के शिल्पी लालचंद था।
- प्रताप सिंह के संगीत गुरु चांद खां थे।
जगत सिंह
- जगत सिंह को जयपुर का बदनाम राजा कहा जाता है।
- जगत सिंह के समय 1807 में घिंगोली का युद्ध (परबतसर) हुआ।
राम सिंह ll
- मेयो कॉलेज (स्कूल) की स्थापना की स्थापना।
- स्कूल आफ आर्ट्स की स्थापना।
- रामगढ़ बांध का निर्माण।
- रामबाग का निर्माण।
- अल्बर्ट हॉल का निर्माण।
- जयपुर को गुलाबी रंग में रंगने का कार्य।
माधो सिंह ll
- नाहरगढ़ में अपनी पासवान रानियां के लिए महलों का निर्माण।
- एडवर्ड सप्तम के राज्यारोहण के समय इंग्लैंड गए।
- पानी की व्यवस्था के लिए दो बड़े चांदी के पात्र लेकर गए।
मान सिंह
- पोलो के प्रसिद्ध खिलाड़ी।
- पोलो खेलते समय मृत्यु हुई।
- पत्नी का नाम गायत्री देवी।
राठौड़ राजवंश
- राठौर राजवंश के तीन शाखाएं थी।
- बीकानेर
- किशनगढ़
- जोधपुर
- राठौर के प्रारंभिक राजधानी मंडोर थी।
प्रमुख शासक
1 . राव सिंहा
- राव धूहड़
- राव चूड़ा
- रणमल
- कान्हा देव
- जोधा
- सातल देव
- राव गंगा
- मालदेव
- चंद्रसेन
- मोटा राजा उदय सिंह
- शुर सिंह
- गज सिंह
- जसवंत सिंह
- अजीत सिंह
- अभय सिंह
- विजय सिंह
- मानसिंह
- जसवंत सिंह ll
राव सिंहा
- राठौर राजवंश का संस्थापक
राव धूहड़
- कर्नाटक से चक्रेश्वरी माता की मूर्ति लाया।
- नागणेची माता की मूर्ति लाकर बाड़मेर के नागाणा में स्थापित की।
राव चूड़ा
- राठौड़ वंश का वास्तविक संस्थापक राव चूड़ा है।
- मारवाड़ में सामंत प्रथा की शुरुआत।
जोधा
- सामंत प्रथा का वास्तविक संस्थापक।
- मंडोर में दुर्ग की स्थापना।
- दुर्ग की नींव करणी माता के द्वारा रखी गई।
- दुर्गा की स्थापना 1498 में हुई।
- यहां पर स्थित चामुंडा माता के मंदिर में 2008 में भगदड़ मची थी। इसकी जांच के लिए चोपड़ा आयोग बनाया गया।
सातल देव
- घुड़ला ने पीपाड़ से कन्याओं को उठा लिया, इन कन्याओं को छुड़ाने के लिए सातल देव ने प्रयास किया।
- इसी दिन से घुड़ला नृत्य का शुभारंभ हुआ
राव गांगा
- गंगालाल तालाब बनाया।
- खानवा के युद्ध में राणा सांगा की सहायता के लिए मालदेव को भेजा।
मालदेव
- अपने पिता की हत्या करके सोजत आ गया।
- मालदेव का राज्याभिषेक सोजत में हुआ।
- मालदेव मारवाड़ अथवा राठौर का पितृहंता कहलाता है।
- हसमत वाला राजा, हिंदू बादशाह, 52 युद्ध का विजेता
- 1532 में भाद्राजून पर अधिकार।
- 1533 में नागौर के दौलत खा को हराया।
- मेड़ता के वीरमदेव को हराया।
- 1542 में पाहेबा और साहिब के युद्ध में, बीकानेर के शासक जेत सिंह पर आक्रमण किया।
- लूणकरण की पुत्री उमा दे के साथ मालदेव का विवाह।
- उमा दे, इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
- मालदेव और शेरशाह के मध्य गिरी सुमेल का युद्ध (5 जनवरी 1544) हुआ।
- इस युद्ध में जेता और कूपा मालदेव के सेनापति थे।
- युद्ध से मालदेव वापस आया और भाद्राजूण चला गया।
- इसी युद्ध में शेरशाह सूरी ने कहा था “मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैं हिंदुस्तान की बादशाहत खो देता।”
- इस युद्ध के बाद शेरशाह सूरी ने जोधपुर दुर्ग को खवास खा को सौंप दिया।
- मालदेव ने दोबारा जोधपुर को अपने कब्जे में कर लिया।
चंद्रसेन
- मालदेव ने चंद्रसेन शासक बना दिया।
- मालदेव सिवान पहुंच गया, चंद्रसेन भाद्राजूण पहुंच गया।
- मारवाड़ का प्रताप।
- प्रताप का अग्रगामी।
- भुला बिसरा राजा के नाम से प्रसिद्ध।
इसके पश्चात अकबर जियारत के लिए गया था।
अकबर ने नागौर दरबार (नवंबर 1570 में) लगाया था।
नागौर दरबार
- बीकानेर से कल्याणमल आया।
- जैसलमेर से हर राय भाटी आया।
- कोटा से सुरजन हाड़ा आया।
मोटा राजा उदय सिंह
- अकबर ने इनको “मोटा राजा” की उपाधि दी।
- मारवाड़ के प्रथम शासक जिन्होंने मुगलों की अधीनता स्वीकार की।
- इन्होंने मुगलों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
- इन्होंने जोधा बाई का विवाह अकबर से किया।
जसवंत सिंह
- जसवंत सिंह के समय मुगल बादशाह शाहजहां थे।
- इनके समय दारा और औरंगजेब के मध्य धर्मत और दोराई का युद्ध हुआ।
- जसवंत सिंह हारकर जोधपुर आए, हाड़ी रानी ने दुर्ग के दरवाजे बंद कर दिए।
- जसवंत सिंह की मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा कि “आज कुफ्र का दरवाजा टूट गया”
- जसवंत सिंह के दरबार में मुहनोत नेणसी तथा दुर्गादास राठौड़ थे।
- नेणसी ख्यात और मारवाड़ के प्रगणा विगत लिखी।
- इस ग्रंथ में राजपूतों के 36 शाखाओ का वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में जनगणना से संबंधित भी आंकड़े दिए गए हैं इसलिए नेणसी को जनगणना का अग्रज माना जाता है।
दुर्गादास राठौड़
- आस करण के पुत्र।
- अजीत सिंह के सरक्षक थे।
- अजीत सिंह को बचाकर लाए।
- दुर्गादास को अन बिंदिया मोती कहा गया है।
अभय सिंह
- खेजड़ली की घटना।
विजय सिंह
- इसकी पासवान रानी गुलाबराय थी।
मानसिंह
- सन्यासी राजा के नाम से प्रसिद्ध।
- नाथ संप्रदाय को मानते थे।
- जोधपुर में महा मंदिर का निर्माण करवाया।
जसवंतसिंह ll
- स्वामी दयानंद सरस्वती जी जोधपुर गए।
- नन्ही जान ने स्वामी दयानंद को जहर दे दिया।
बीकानेर के प्रमुख शासन
- राव बीका
- लूणकरण
- जेत सिंह
- कल्याणमल
- राय सिंह
- कर्ण सिंह
- अनुपसिंह
- सूरज सिंह
- सरदार सिंह
- गंगासिंह
बीका
- जोधा के पुत्र थे।
- 1465 में कोडमदेसर आ गए।
- प्रारंभिक राजधानी कोडमदेसर बनाई।
- करणी माता के आशीर्वाद से बीकानेर दुर्ग की स्थापना (1488) की।
- कोडमदेसर में भेरुजी का मंदिर बनवाया।
लूणकरण
- लूणकरणसर झील बनवाई।
- कलयुग का कर्ण
जेत सिंह
- मालदेव ने आक्रमण किया।
कल्याणमल
- नागौर दरबार में गए।
- इनके पुत्र पृथ्वीराज राठौड़ ने वेली कृष्ण रुक्मणी की ख्यात (डिंगल भाषा में) लिखी।
राय सिंह
- राजपूताने का कर्ण
- जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण। (1589-94)
- करमचंद की देखरेख में राय सिंह प्रशस्ति लिखवाई।
- मुगल साम्राज्य का स्तंभ।
कर्ण सिंह
- जांगलधर बादशाह के नाम से प्रसिद्ध।
- मतिरे की राड इन्हीं के समय हुई।
अनुपसिंह
- बीकानेर चित्रकला का स्वर्ण काल
सूरत सिंह
- भटनेर दुर्ग पर अधिकार।
- दुर्ग का नाम हनुमानगढ़ कर दिया।
सरदार सिंह
- 1857 की क्रांति में राज्य से बाहर चले गए अंग्रेजों की सहायता के लिए।
गंगा सिंह
- राजस्थान में गंगा नहर लाए
- राजस्थान का भागीरथ के नाम से जाना गया।
- गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
- इन्हीं के समय छप्पणियां अकाल पड़ा।
- वर्साय की संधि में भागीदारी।
भाटी राजवंश
भट्टी
- भाटी राजवंश का संस्थापक।
- भटनेर दुर्ग इनका प्रसिद्ध दुर्ग है।
भटनेर दुर्ग
- भूपत भाटी ने भटनेर दुर्ग का निर्माण (288 ई) करवाया।
- राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग।
- सर्वाधिक विदेशी आक्रमण इसी दुर्ग पर हुए।
- तैमूर लंग का आक्रमण इसी दुर्ग पर हुआ।
- तैमूर लंग ने अपनी पुस्तक में लिखा “इतना मजबूत दुर्ग में हिंदुस्तान में कहीं नहीं देखा।”
- इस दुर्ग में हिंदू तथा मुस्लिम महिलाओं ने एक साथ जोहर किया।
- शेर खा की कब्र इसी दुर्ग में है
- यह दुर्ग भाटियों की प्रारंभिक राजधानी था।
- यहा पर आक्रमण होने के कारण भाटी शासक तनोट की तरफ आ गए।
- तनोट स्थान तनोट माता के लिए प्रसिद्ध है।
तनोट माता
- सैनिकों की कुलदेवी है।
- रुमाल वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध।
- तनोट के बाद भाटियो ने अपनी तीसरी राजधानी लोधरमा बनाई।
लोधरमा
- यहां की राजकुमारी मूमल, मूमल का प्रेम संबंध अमरकोट के महेंद्र के साथ था।
जैसलमेर
- यहां भाटियों की चौथी राजधानी थी।
- 1155 में जैसलमेर दुर्ग का निर्माण हुआ।
- त्रिकूट पहाड़ी पर जैसलमेर दुर्ग बना हुआ है।
- 99 बुर्ज के नाम से जाना जाता है।
- अढ़ाई साके के लिए प्रसिद्ध है
मूलराज l
- प्रथम साका इसके कल में हुआ। (अलाउद्दीन खिलजी)
राव दूदा
- जैसलमेर का दुसरा शक हुआ। (फिरोज शाह तुगलक)
राव लूणकरण
- तीसरा साका हुआ, 1555 में।
जाट राजवंश
- औरंगजेब के समय जाट राजवंश का उदय हुआ।
- गोकुला ने औरंगजेब के विरुद्ध कुछ व्यक्तियों को खड़ा किया।
- गोकुल जाटों का प्रारंभिक नेता था।
- हिंदू मंदिरों को तोड़ने वाले अब्दुल नमी की हत्या कर दी।
- इसीलिए औरंगजेब ने गोकुला को मरवा दिया।
राजा राम
- जाटों का दूसरा नेता।
- राजाराम ने अकबर के कब्र को लूट लिया।
चूड़ामन
- जाट साम्राज्य का संस्थापक।
बदन सिंह
- जाट साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक।
- बदन सिंह को सवाई जय सिंह ने ब्रजराज कीउपाधि दी।
- डींग की जागीर दी गई।
- डींग के जल महलों का निर्माण करवाया।
सूरजमल
- जाट साम्राज्य का शक्तिशाली शासक।
- सूरजमल ने भरतपुर में लोहागढ़ का दुर्ग (1733 ई) बनवाया।
- इस दुर्ग पर अभी तक कोई भी विजय प्राप्त नहीं कर सका।
- जवाहर बुर्ज इसी दुर्ग में है। (दिल्ली विजय के उपलक्ष में)
- फतेहपुर की भी इसी दुर्ग में है। (अंग्रेजों की विजय के उपलक्ष में)
जवाहर सिंह
- पिता की हत्या का बदला लेने के लिए दिल्ली गए।
- अष्टधातु का दरवाजा उठाकर लाए।
रणजीत सिंह
- उनके समय भरतपुर के दुर्ग में मल्हार राव होल्कर (1803) ने शरण ली।
गुहिल वंश
गुहिलादित्य
- गुहिल राज वंश का संस्थापक गुहिलादित्य (शिलादित्य का पुत्र) था।
बप्पा रावल
- गुहिल राजवंश का वास्तविक संस्थापक।
- हरित ऋषि की सेवा की।
- पहले व्यक्ति जिन्होंने मेवाड़ में सोने के सिक्के चलाएं।
- एकलिंग जी मंदिर का निर्माण करवाया।
- मेवाड़ के वास्तविक राजा एकलिंगजी है।
- बप्पा रावल ने अपने प्रारंभिक राजधानी नागदा को बनाया।
अलल्ट
- आयड को राजधानी बनाया।
- हुणो की राजकुमारी से विवाह किया।
जैत्र सिंह
- चित्तौड़गढ़ को राजधानी बनाया।
- इल्तुतमिश के साथ भूताला का युद्ध लडा।
सिसोदिया वंश
- हम्मीर
- खेता
- लाखा
- मोकल
- कुभा
- रायमल
- सांगा
- विक्रमादित्य
- उदय सिंह
- प्रताप
- अमर सिंह
- करण सिंह
- जगत सिंह
- राम सिंह
हम्मीर
- मेवाड़ का उद्धारक
- विषम घाटी पंचानन।
- प्रबल हिंदू राजा
लाखा
- इनका पूरा नाम लक्ष्य सिंह है।
- जावर में चांदी की खान मिली।
- पिछोला झील का निर्माण।
- हंसा बाई से विवाह। (राव चूड़ा की पुत्री)
मोकल
- चाचा और मेहरा ने मोकल की हत्या करदी।
राणा कुम्भा
- कुम्भा की जोधा के साथ आवल बावल की संधि (1453) हुई।
- इस समय कुतुबुद्दीन शाह गुजरात का शासक था।
- उनके समय महमूद खिलजी मालवा का शासक था।
- कुंभलगढ़ को राजधानी बनाया।
- दादाजी का नाम लाखा।
- रसिकप्रिया लिखी।
- अभिनव भारताचार्य, राणों रासो, हाल गुरु, हिंदू सुरतान, दान गुरु, छाप गुरु इत्यादि।
- 1437 में सारंगपुर का युद्ध हुआ। महमूद खिलजी के साथ, इस युद्ध की विजय के उपलक्ष में विजय स्तंभ का निर्माण करवाया।
- राजस्थान में स्थापत्य का स्वर्ण कल इसी के समय था।
- मेवाड़ में सर्वाधिक दुर्गों का निर्माण करवाया।
- कुंभलगढ़, अचलगढ़, बसंतगढ़, बेराठ (भीलवाड़ा), भोमट (बाड़मेर) और मचान (सिरोही) दुर्ग का निर्माण।
कुंभलगढ दुर्ग
- 36 किलोमीटर लंबी दीवार।
- भारत की महान दीवार के नाम से प्रसिद्ध।
- कुंभलगढ़ दुर्ग को मेवाड़ की आंख के नाम से जाना जाता है।
- कटारगढ़ के बादल महल, 9 मई 1540 को महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था।
- मेवाड़ के महाराणा की संकटकालीन राजधानी।
- 1578 में शाहाबाद खान एक बार दुर्ग को जीत लिया।
- उदा ने कुम्भा की हत्या कर दी। उदा को मेवाड़ के पितृहंता के नाम से जाना गया।
- उदा की जगह रायमल को राणा बनाया गया।
कुम्भा के मंदिर
- श्रंगार चवरी – रमाबाई के विवाह की चवरी। चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित।
- मीरा मंदिर – चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित।
- रणकपुर के जैन मंदिर – पाली में स्थित, मथाई नदी के किनारे, दूसरी बार मालवा विजय के उपलक्ष मेंबनाएं।
- कुशाल माता मंदिर
राणा संग्राम सिंह
- चित्तौड़गढ़ को राजधानी बनाया।
- दादाजी का नाम कुम्भा।
विक्रमादित्य
- 1534 में गुजरात के बहादुर शाह ने आक्रमण किया।
- कर्मावती ने रणथंबोर की जागीर देकर बहादुर शाह को वापस भेज दिया।
- कर्मावती ने हुमायूं को सहायता के लिए राखी भेजी।
- चित्तौड़गढ़ का नेतृत्व बाघ सिंह ने संभाला।
उदय सिंह
- उदयपुर को राजधानी बनाया।
- 1459 उदय सागर झील का निर्माण करके उदयपुर को बसाया।
- जगमाल को राणा बनाया।
- अन्य ने मिलकर महाराणा प्रताप का गोगुंदा में राज्याभिषेक कर दिया।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग
- 1567-68 चित्तौड़ पर घेरा डाल दिया।
- चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका हुआ
- जयमल और फत्ता ने नेतृत्व किया।
- फुल कवर ने जौहर किया।
चित्तौड़गढ़ के प्रमुख साके
- 1303 रतन सिंह के समय अलाउद्दीन खिलजी का हमला।
- 1534 विक्रमादित्य के समय गुजरात के बहादुर शाह का हमला।
- 1567- 68 उदय सिंह के समय अकबर का आक्रमण।
महाराणा प्रताप
- हल्दीघाटी का युद्ध
- दिवेर का युद्ध
- गोगुंदा को राजधानी बनाया।
- दादाजी का नाम संग्राम सिंह।
- जलाल खा, मानसिंह, भगवंत दास, टोडरमल इत्यादि को महाराणा प्रताप के पास अकबर ने अभियान भेजा।
अमर सिंह
- उनके समय 1516 में मेवाड़ मुगल संधि हुई।
राज सिंह
- राजसमंद झील का निर्माण।
किसान आंदोलन
- बिजोलिया किसान आंदोलन
- बेगू किस आंदोलन
- बूंदी किसान आंदोलन
बिजोलिया किसान आंदोलन
- किसान आंदोलन की शुरुआत बिजोलिया से हुई।
- बिजोलिया मेवाड़ रियासत में शामिल था।
- बिजोलिया में धाकड़ जाति के किसान थे।
- सबसे लंबा चलने वाला किसान आंदोलन
- लगभग 44 वर्ष तक चला 1897- 1941
- प्रारंभिक नेतृत्व साधु सीताराम दास ने किया।
- किशन सिंह ने किसानों पर 1903 में चवरी कर लगा दिया।
- किसान बिजोलिया छोड़कर जाने लगे तो किशन सिंह ने चवरी कर वापस लिया।
- पृथ्वी सिंह सामंत ने तलवार बंधाई का कर (1906) लेना शुरू किया।
- बिजोलिया किसान आंदोलन के दूसरे चरण का नेतृत्व विजय सिंह पथिक ने किया।
- विजय सिंह पथिक बुलंदशहर यूपी के थे।
- विजय सिंह का वास्तविक नाम भूप सिंह था।
- बिजोलिया किसान आंदोलन के तीसरे चरण का नेतृत्व सीकर के रामनारायण चौधरी, जमनालाल बजाज, हरीभाउ उपाध्याय, माणिक्य लाल वर्मा ने किया।
अलवर किसान आंदोलन
- नींबूचाणा हत्याकांड अलवर किसान आंदोलन से संबंधित है।
- 14 में 1925 को छज्जू सिंह ने गोलियां चलाई और किसान मारे गए।
- दिल्ली के रियासती अखबार ने इस आंदोलन को जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी भयानक बताया।
मानगढ़ हत्याकांड
- यह 1913 में हुआ था।
- इसको जलियांवाला बाग हत्याकांड की संज्ञा दी गई।
इन नोट्स को बनाने में पूर्ण रूप से सावधानी बरती गई है, अगर आपको कहीं पर भी ऐसा लगता है की त्रुटि हुई है, तो आप उससे संबंधित जानकारी कमेंट बॉक्स में बताइए हम तुरंत अपडेट करने का प्रयास करेंगे। नोट्स संकलन का उद्देश्य सिर्फ प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करना है।